II. दिए गए पठित गद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दिए गए विकल्पों से चुनकर लिखिए
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एक ज़माना था कि लोग आठवाँ दरजा पास करके नायब तहसीलदार हो जाते थे। मैं कितने ही
मिडिलचियों को जानता हूँ, जो आज अव्वल दरजे के डिप्टी मैजिस्ट्रेट या सुपरिटेंडेंट हैं। कितने
ही आठवीं जमात वाले हमारे लीडर और समाचारपत्रों के संपादक हैं । बड़े-बड़े विद्वान उनकी
मातहती में काम करते हैं और तुम उसी आठवें दरजें में आकर बाज़ारी लौंडों के साथ कनकौए
के लिए दौड़ रहे हो । मुझे तुम्हारी इस कम अक्ली पर दुःख होता है। तुम ज़हीन हो, इसमें शक
नहीं, लेकिन वह ज़ेहन किस काम का जो हमारे आत्मगौरव की हत्या कर डाले । तुम अपने दिल
में समझते होगे, मैं भाई साहब से महज़ एक दरजा नीचे हूँ और अब उन्हें मुझको कुछ कहने का
हक नहीं है, लेकिन यह तुम्हारी गलती है। मैं तुमसे पाँच साल बड़ा हूँ और चाहे आज तुम मेरी
ही जमात में आ जाओ और परीक्षकों का यही हाल है, तो निस्संदेह अगले साल तुम मेरे समकक्ष
हो जाओगे और शायद एक साल बाद मुझसे आगे भी निकल जाओ, लेकिन मुझमें और तुममें
जो पाँच साल का अंतर है, उसे तुम क्या, खुदा भी नहीं मिटा सकता । मैं तुमसे पाँच साल बड़ा हूँ
और हमेशा रहूँगा। मुझे दुनिया का और जिंदगी का जो तजुरबा है, तुम उसकी बराबरी नहीं कर
सकते, चाहे तुम एम.ए. और डी.फिल और डी.लिट् ही क्यों न हो जाओ। समझ किताबें पढ़ने
से नहीं आती, दुनिया देखने से आती है।
प्रश्न:
बड़े भाई ने लेखक को क्या नसीहत दी ?
A
तुम आठवें दरज़े में आकर बाज़ारी लौंडों के साथ घूम रहे हो।
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answer A is the correct answer
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