ईंधन सरक्षण की दिशा मे छोटे छोटे कदमो पर बड़ा परिवर्तन के बारे मे निबन्ध
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ईंधन का संरक्षण करने से पूर्व हमें ये समझना जरूरी है कि हमारे जीवन में ये क्या मायने रखते हैं ? आखिर क्यों करना चाहिए इनका संरक्षण ? ईंधन वास्तव मे प्रकृति का दिया वह तोहफा है, जो ज्वलित होने पर विशाल मात्रा में उर्जा का उत्सर्जन करता है। जिस उर्जा का उपयोग हम अपने दैनिक जीवन मे उपयोग में लाये वस्तुओं को चलाने में करते हैं ।जैसे - गाड़ी , पंखा , मोटर, कल-कारखाना , विद्युत चालित सभी संत्र बगैरह - बगैरह सभी प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से ईंधन पर निर्भर हैं।तो जाहिर है कि ईंधन हमारे लिए कितना जरुरी है ।
ईंधन का संरक्षण हमारे लिए एक जटिल समस्या है ।जिसका निवारण हम सभी को साथ मिलकर करनी चाहिए । यह जरुरी नही है कि बदलाव अचानक किया जाय , धीरे - धीरे से छोटे - छोटे बदलाव से भी हम ईंधन का संरक्षण कर सकते हैं । कुछ तरीके इस प्रकार हैं -
१. किसी भी बदलाव का आरंभ स्वयं से करना शुभ और तार्किक माना जाता है।
इसिलिए अपने आप से यह वादा करें कि ईंधन की बर्वादी नहीं करेंगे । व्यक्ति को ईंधन की महत्ता बताएँगे और उसका संरक्षण करना का तरीका बताकर जागरुक करेंगे ।
"क्योकि जानकारी का अभाव ही हमे विफल बनाता है । "
और यह भी सच है कि
"एक जागरुक समाज का निर्माण जागरुक व्यक्तियों से बनती है ।"
२. घर में हो रहे अनावश्यक विद्युत के उपभोग को रोकें । जैसे - उच्च शक्ति के बल्व की बजाय , LED बल्व का उपयोग करें , पंखे , TV, refrigerator, coolar , A/C इत्यादी का उपयोग अनावश्यक न करें ।
३.भोजन बनाने के लिए ढक्कन वाले बर्तन का उपयोग करें , इससे भोजन के पोषकतत्व बरकरार रहते हैं ।
४. आजकल LPG गैस का उपयोग खाना बनाने में होता है । LPG अत्यंत सीमित मात्रा में पाया जाने वाला ईंधन है। अत: यह जरुरी है कि हम इसके संरक्षण पर अधिक घ्यान दें । जहाँ तक संभव हो, खाना बनाने के लिए सोलर कुकर का उपयोग करें । अगर आप LPG का उपयोग कर रहे हैं तो उपयोग के तुरंत बाद रेगूलेटर बंद कर दे । कोशिर करें कि LPG चूल्हा बार - बार मही जलाना है।
५. गाड़ी , मोटरसाइकिल का व्यर्थ उपयोग न करें । बेहतर होगा अगर आप छोटी दूरी पैदल या फिर साइकिल से तय करें । यह आपको स्वस्थ भी रखेगाकराएँ।
६. ट्रॉफिक के समय गाड़ी के इंजन को बंद कर दे । गाड़ी को मध्यम चाल से चलाएँ । समय - समय पर इंजन की जाँच कराएँ।
ऐसी बहुत सारी तरीके हैं जो ईंधन का संरक्षण करने मे कारगर है , और होनी भी चाहिए क्योंकि ,
" किसी भी बड़े से बड़े योजनाओं के सफल होना अनगिनत छोटी - छोटी सफलता पर निर्भर करता है "।
केवल जरुरत है तो अपने मे दृढ निश्चय करने की ।
ईंधन का संरक्षण हमारे लिए एक जटिल समस्या है ।जिसका निवारण हम सभी को साथ मिलकर करनी चाहिए । यह जरुरी नही है कि बदलाव अचानक किया जाय , धीरे - धीरे से छोटे - छोटे बदलाव से भी हम ईंधन का संरक्षण कर सकते हैं । कुछ तरीके इस प्रकार हैं -
१. किसी भी बदलाव का आरंभ स्वयं से करना शुभ और तार्किक माना जाता है।
इसिलिए अपने आप से यह वादा करें कि ईंधन की बर्वादी नहीं करेंगे । व्यक्ति को ईंधन की महत्ता बताएँगे और उसका संरक्षण करना का तरीका बताकर जागरुक करेंगे ।
"क्योकि जानकारी का अभाव ही हमे विफल बनाता है । "
और यह भी सच है कि
"एक जागरुक समाज का निर्माण जागरुक व्यक्तियों से बनती है ।"
२. घर में हो रहे अनावश्यक विद्युत के उपभोग को रोकें । जैसे - उच्च शक्ति के बल्व की बजाय , LED बल्व का उपयोग करें , पंखे , TV, refrigerator, coolar , A/C इत्यादी का उपयोग अनावश्यक न करें ।
३.भोजन बनाने के लिए ढक्कन वाले बर्तन का उपयोग करें , इससे भोजन के पोषकतत्व बरकरार रहते हैं ।
४. आजकल LPG गैस का उपयोग खाना बनाने में होता है । LPG अत्यंत सीमित मात्रा में पाया जाने वाला ईंधन है। अत: यह जरुरी है कि हम इसके संरक्षण पर अधिक घ्यान दें । जहाँ तक संभव हो, खाना बनाने के लिए सोलर कुकर का उपयोग करें । अगर आप LPG का उपयोग कर रहे हैं तो उपयोग के तुरंत बाद रेगूलेटर बंद कर दे । कोशिर करें कि LPG चूल्हा बार - बार मही जलाना है।
५. गाड़ी , मोटरसाइकिल का व्यर्थ उपयोग न करें । बेहतर होगा अगर आप छोटी दूरी पैदल या फिर साइकिल से तय करें । यह आपको स्वस्थ भी रखेगाकराएँ।
६. ट्रॉफिक के समय गाड़ी के इंजन को बंद कर दे । गाड़ी को मध्यम चाल से चलाएँ । समय - समय पर इंजन की जाँच कराएँ।
ऐसी बहुत सारी तरीके हैं जो ईंधन का संरक्षण करने मे कारगर है , और होनी भी चाहिए क्योंकि ,
" किसी भी बड़े से बड़े योजनाओं के सफल होना अनगिनत छोटी - छोटी सफलता पर निर्भर करता है "।
केवल जरुरत है तो अपने मे दृढ निश्चय करने की ।
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ईंधन संरक्षण के छोटे चरण बड़े बदलाव कर सकते हैं
जब तक दुनिया में सभी लोग ऊर्जा के नवीकरणीय स्रोतों को संरक्षित और उपयोग न करें, प्रदूषण और पर्यावरणीय क्षरण से संबंधित समस्याओं को हल नहीं किया जा सकता।
जीवाश्म ईंधनों के अत्यधिक इस्तेमाल के परिणाम और नतीजे ने मनुष्य पर प्रतिकूल प्रभाव डाला है।
हमारा पर्यावरण पारदर्शी पदार्थ के एक विशाल गुब्बारे की तरह है
जब यह गुब्बारा बनाया गया था तो यह शुद्ध पौधों से भरा था।
और अब जीवाश्म ईंधन के जलने से काली और जहरीली धुएं ने इस सुंदर गुब्बारे को ऐसे हद तक क्षति पहुंचाई है
जो इसे अपने शुद्ध शुद्धिकरण और सुंदरता के लिए पुनः प्राप्त कर पाना असंभव है।
मनुष्य, मूर्ख प्राणी, यह देखने में विफल रहता है कि उसका अस्तित्व इस गुब्बारे पर निर्भर करता है।
पर्यावरण की पर्ति सोच के बारे में मनुष्य की धारणा को बदलना चाहिए, अन्यथा गुब्बारा फट जाएगा और उसका अपना अस्तित्व इसके साथ समाप्त होगा।
जब किसी ऐसी वस्तु को जलाया जाता है जीसस से कार्बन डाई आक्साइड गैस निकलती है तो
यह ग्लोबल वार्मिंग के लिए जिम्मेदार प्राथमिक गैस में से एक है।
पृथ्वी के तापमान में वृद्धि के कारण ध्रुवीय बर्फ के टोपियां पिघलने, के कारण उन
क्षेत्रों मे बाढ़ और समुद्र के स्तरों में वृद्धि हुई है।
यदि ऐसी स्थितियां जारी रहती हैं, तो हमारे ग्रह पृथ्वी को निकट भविष्य में कुछ गंभीर नतीजे का सामना कर सकते हैं।
पर्यावरण को हानि करने के अलावा, वायु प्रदूषण के परिणामस्वरूप अस्थमा, पुराना अवरोधक फुफ्फुसीय विकार या सीओपीडी और फेफड़े का कैंसर हो सकता है।
दीर्घकालिक जोखिम सामान्य जनसंख्या में श्वसन संक्रमण बढ़ सकता है।
बच्चों और बुजुर्ग अन्य हवाई विषाक्त पदार्थों को ठीक करने के लिए सबसे कमजोर होते हैं।
जीवाश्म ईंधन के बेहद सरल और मितव्ययी उपयोग की घड़ी की तीव्र आवश्यकता है।
वर्तमान दर जिस पर जीवाश्म ईंधन का उपयोग किया जा रहा है वह काफी खतरनाक है।
आने वाली पीढ़ियों के लिए कुछ भी नहीं छोड़ा जाएगा
हमे टिकाऊ विकास के सिद्धांतों का पालन करना चाहिए आखिरकार यह हमारी जिम्मेदारी है कि एक स्वस्थ और समृद्ध ग्रह माता-पिता होने के नाते यह हमारी नैतिक जिम्मेदारी है।
चलो हमारे ग्रह का ख्याल रखना और जीवाश्म ईंधन का उपयोग समझदारी से और तुच्छ तरीके से करें!
यदि हम में से हर एक अक्षय ईंधन के उपयोग के साथ जीवाश्म ईंधन का उपयोग करता है, तो हम आने वाले पीढ़ियों के लिए हमारे पर्यावरण और भविष्य को बचाने में बहुत कुछ कर सकते हैं।
जीवाश्म ईंधन से उत्पन्न समस्याओं से निपटने के लिए वर्तमान में हमारे सामने सबसे अच्छा विकल्प ऊर्जा के वैकल्पिक स्रोतों का उपयोग करने का विकल्प है।
ऊर्जा की बढ़ती मांग को जीवाश्म ईंधन से पूरा नहीं किया जा सकता है।
यह पर्यावरणीय पतन के साथ-साथ स्पष्ट कमी भी पैदा करेगा।
परिदृश्य में अक्षय ऊर्जा स्रोतों का सबसे अच्छा श्रोत है और सूर्य से बेहतर अक्षय संसाधन क्या हो सकता है
इसके अलावा
स्वच्छ ऊर्जा स्रोत है।
पर्यावरणीय और आर्थिक दोनों तरह की लागतें लेना, सौर ऊर्जा जीवाश्म ईंधन संसाधनों की तुलना में सस्ति रहती है।
एक बार जब हम सौर ऊर्जा का इस्तेमाल करने के लिए तकनीकों को पेश करते हैं, तो यह पूरे ग्रह में शक्ति का एक महत्वपूर्ण स्रोत हो सकता है।
आर्थिक गतिविधियों में वृद्धि और बढ़ती आबादी ने परिवहन क्षेत्र में विशेष रूप से शहरी भारत में भारी मांग की है।
नजदीकी भविष्य में, भारत की शहरी आबादी एक चौंका देने वाला 200 मिलियन तक पांच गुना बढ़ने की उम्मीद है;
प्रदूषण भी खतरनाक रूप से बढ़ेगा
इस जबरदस्त वृद्धि से शहरी इलाकों में वायु और शोर प्रदूषण को नियंत्रित करने का एक बहुत ही महत्वपूर्ण मुद्दा सामने आया है।
उपर्युक्त समस्याओं का व्यवहार्य समाधान सड़कों पर बिजली के वाहनों (ईवीएस) का उपयोग है। ईवीओ प्रदूषण को 16 लाख मीट्रिक टन तक घटा देगा I
सरकार को अपने प्रदूषण के कारण वाहनों को बदलने के लिए लोगों को प्रोत्साहित करना चाहिए।
इसके लिए सरकार को पर्यावरण की रक्षा के लिए सख्त कानून बनाना चाहिए। सरकार को भी चाहिए कि इसके लिए सख्त कदम उठाऐ
srk6
जब तक दुनिया में सभी लोग ऊर्जा के नवीकरणीय स्रोतों को संरक्षित और उपयोग न करें, प्रदूषण और पर्यावरणीय क्षरण से संबंधित समस्याओं को हल नहीं किया जा सकता।
जीवाश्म ईंधनों के अत्यधिक इस्तेमाल के परिणाम और नतीजे ने मनुष्य पर प्रतिकूल प्रभाव डाला है।
हमारा पर्यावरण पारदर्शी पदार्थ के एक विशाल गुब्बारे की तरह है
जब यह गुब्बारा बनाया गया था तो यह शुद्ध पौधों से भरा था।
और अब जीवाश्म ईंधन के जलने से काली और जहरीली धुएं ने इस सुंदर गुब्बारे को ऐसे हद तक क्षति पहुंचाई है
जो इसे अपने शुद्ध शुद्धिकरण और सुंदरता के लिए पुनः प्राप्त कर पाना असंभव है।
मनुष्य, मूर्ख प्राणी, यह देखने में विफल रहता है कि उसका अस्तित्व इस गुब्बारे पर निर्भर करता है।
पर्यावरण की पर्ति सोच के बारे में मनुष्य की धारणा को बदलना चाहिए, अन्यथा गुब्बारा फट जाएगा और उसका अपना अस्तित्व इसके साथ समाप्त होगा।
जब किसी ऐसी वस्तु को जलाया जाता है जीसस से कार्बन डाई आक्साइड गैस निकलती है तो
यह ग्लोबल वार्मिंग के लिए जिम्मेदार प्राथमिक गैस में से एक है।
पृथ्वी के तापमान में वृद्धि के कारण ध्रुवीय बर्फ के टोपियां पिघलने, के कारण उन
क्षेत्रों मे बाढ़ और समुद्र के स्तरों में वृद्धि हुई है।
यदि ऐसी स्थितियां जारी रहती हैं, तो हमारे ग्रह पृथ्वी को निकट भविष्य में कुछ गंभीर नतीजे का सामना कर सकते हैं।
पर्यावरण को हानि करने के अलावा, वायु प्रदूषण के परिणामस्वरूप अस्थमा, पुराना अवरोधक फुफ्फुसीय विकार या सीओपीडी और फेफड़े का कैंसर हो सकता है।
दीर्घकालिक जोखिम सामान्य जनसंख्या में श्वसन संक्रमण बढ़ सकता है।
बच्चों और बुजुर्ग अन्य हवाई विषाक्त पदार्थों को ठीक करने के लिए सबसे कमजोर होते हैं।
जीवाश्म ईंधन के बेहद सरल और मितव्ययी उपयोग की घड़ी की तीव्र आवश्यकता है।
वर्तमान दर जिस पर जीवाश्म ईंधन का उपयोग किया जा रहा है वह काफी खतरनाक है।
आने वाली पीढ़ियों के लिए कुछ भी नहीं छोड़ा जाएगा
हमे टिकाऊ विकास के सिद्धांतों का पालन करना चाहिए आखिरकार यह हमारी जिम्मेदारी है कि एक स्वस्थ और समृद्ध ग्रह माता-पिता होने के नाते यह हमारी नैतिक जिम्मेदारी है।
चलो हमारे ग्रह का ख्याल रखना और जीवाश्म ईंधन का उपयोग समझदारी से और तुच्छ तरीके से करें!
यदि हम में से हर एक अक्षय ईंधन के उपयोग के साथ जीवाश्म ईंधन का उपयोग करता है, तो हम आने वाले पीढ़ियों के लिए हमारे पर्यावरण और भविष्य को बचाने में बहुत कुछ कर सकते हैं।
जीवाश्म ईंधन से उत्पन्न समस्याओं से निपटने के लिए वर्तमान में हमारे सामने सबसे अच्छा विकल्प ऊर्जा के वैकल्पिक स्रोतों का उपयोग करने का विकल्प है।
ऊर्जा की बढ़ती मांग को जीवाश्म ईंधन से पूरा नहीं किया जा सकता है।
यह पर्यावरणीय पतन के साथ-साथ स्पष्ट कमी भी पैदा करेगा।
परिदृश्य में अक्षय ऊर्जा स्रोतों का सबसे अच्छा श्रोत है और सूर्य से बेहतर अक्षय संसाधन क्या हो सकता है
इसके अलावा
स्वच्छ ऊर्जा स्रोत है।
पर्यावरणीय और आर्थिक दोनों तरह की लागतें लेना, सौर ऊर्जा जीवाश्म ईंधन संसाधनों की तुलना में सस्ति रहती है।
एक बार जब हम सौर ऊर्जा का इस्तेमाल करने के लिए तकनीकों को पेश करते हैं, तो यह पूरे ग्रह में शक्ति का एक महत्वपूर्ण स्रोत हो सकता है।
आर्थिक गतिविधियों में वृद्धि और बढ़ती आबादी ने परिवहन क्षेत्र में विशेष रूप से शहरी भारत में भारी मांग की है।
नजदीकी भविष्य में, भारत की शहरी आबादी एक चौंका देने वाला 200 मिलियन तक पांच गुना बढ़ने की उम्मीद है;
प्रदूषण भी खतरनाक रूप से बढ़ेगा
इस जबरदस्त वृद्धि से शहरी इलाकों में वायु और शोर प्रदूषण को नियंत्रित करने का एक बहुत ही महत्वपूर्ण मुद्दा सामने आया है।
उपर्युक्त समस्याओं का व्यवहार्य समाधान सड़कों पर बिजली के वाहनों (ईवीएस) का उपयोग है। ईवीओ प्रदूषण को 16 लाख मीट्रिक टन तक घटा देगा I
सरकार को अपने प्रदूषण के कारण वाहनों को बदलने के लिए लोगों को प्रोत्साहित करना चाहिए।
इसके लिए सरकार को पर्यावरण की रक्षा के लिए सख्त कानून बनाना चाहिए। सरकार को भी चाहिए कि इसके लिए सख्त कदम उठाऐ
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