History, asked by rdey84465, 4 months ago

iii) आर्य समाज की स्थापना किसने की ? इस समाज की शिक्षाओं का उल्लेख कीजिये​

Answers

Answered by deepaksinha744
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Explanation:

आर्यसमाज की स्थापना: 10 अप्रैल सन 1875 को बम्बई में दयानंद सरस्वती ने आर्य समाज की स्थापना की. उन्नीसवीं शताब्दी के तीसरे चरण में भारत में जागृति के जो चतुर्दिक आंदोलन आरंभ हुए, उनमें आर्य समाज का बड़ा महत्त्वपूर्ण स्थान है.

आर्य समाज के मुख्य सिद्धान्त निम्नलिखित हैं:

1. सभी शक्ति और ज्ञान का प्रारंभिक कारण ईश्वर है.

2. ईश्वर ही सर्व सत्य है, सर्व व्याप्त है, पवित्र है, सर्वज्ञ है, सर्वशक्तिमान है और सृष्टि का कारण है. केवल उसी की पूजा होनी चाहिए.

3. वेद ही सच्चे ज्ञान ग्रंथ हैं.

4. सत्य को ग्रहण करने और असत्य को त्यागने के लिए सदा तत्पर रहना चाहिए.

5. उचित-अनुचित के विचार के बाद ही कार्य करना चाहिए.

6. मनुष्य मात्र को शारीरिक, सामाजिक और आत्मिक उन्नति के लिए कार्य करना चाहिए.

7. प्रत्येक के प्रति न्याय, प्रेम और उसकी योग्यता के अनुसार व्यवहार करना चाहिए.

8. ज्ञान की ज्योति फैलाकर अंधकार को दूर करना चाहिए.

9. केवल अपनी उन्नति से संतुष्ट न होकर दूसरों की उन्नति के लिए भी यत्न करना चाहिए.

10. समाज के कल्याण और समाज की उन्नति के लिए अपने मत तथा व्यक्तिगत बातों को त्याग देना चाहिए.

इनमें से प्रथम तीन सिद्धांत धार्मिक हैं और अंतिम सात नैतिक हैं. आगे चलकर व्यवहार के स्तर पर आर्य समाज में भी विचार-भेद पैदा हो गया. एक वर्ग 'दयानंद एंग्लो वैदिक कॉलेज' की विचारधारा की ओर चला और दूसरे ने 'गुरुकुल' की राह पकड़ी. यह उल्लेखनीय है कि देश के स्वतंत्रता-संग्राम में आर्य समाज ने संस्था के रूप में तो नहीं, पर सहसंस्था के अधिकांश प्रमुख सदस्यों ने व्यक्तिगत स्तर पर महत्त्वपूर्ण भूमिका अदा की.

आर्यसमाज ने देश में अनेक सुधार कार्य किए जिनकी वजह से आज आर्य समाज को देश और विदेश में काफी मान्यता प्राप्त है. देश को आज भी ऐसे ही एक आंदोलन की जरुरत है जो देश में नैतिकता की लहर ला सके.

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