iii) अनुकम्पी और परानुकम्पी तंत्रिका तंत्र। मे अंतर बताइऐ?
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अनुकंपी तंतुओं में संवहन केवल अंगों की ओर होता है। अनुकंपी तंत्र के अतिरिक्त भी कुछ अन्य तंत्रिकाओं में ऐसी ही रचना होती है, अर्थात् दो न्यूरोन पाए जाते हैं, जो अनुकंपी की ही भाँति उत्तेजना का संवहन और वितरण करते हैं। उनको परानुकंपी (परासिंपैथेटिक) तंतु कहते हैं। इन दोनों को आत्मग (ऑटोनोमिक) तंत्र भी कहा जाता है।
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Answer:
अनुकंपी तंत्र \s(1) यह हृदय की गति को दृढ़ तथा तेज़ करता है।\s(2) धमनियों के ल्यूमन को छोटा करता है तथा रुधिर चाप को बढ़ाता है। \s\s \s(3) लार, स्राव तथा पाचक रसों के स्राव को कम करता है। \s \s(4) इससे संबंधित क्रियाएँ भय, क्रोध तथा पीड़ा का अनुभव करती हैं। \s \sपरानुकंपी तंत्र\s(1) हृदय की गति को कमज़ोर तथा मंद करता है। \s(2) ल्यूमन को बड़ा तथा रुधिर चाप को कम करता है। \s \s(3) लार, स्राव तथा पाचक रसों के स्राव को बढ़ाता है। \s \s(4) इससे संबंधित क्रिया शरीर को सुख तथा आराम पहुँचाने का प्रयत्न करती है।
मनुष्य के विविध अंगों और मस्तिष्क के बीच संबंध स्थापित करने के लिए धागे से भी पतले अनेक स्नायुतंतु (नर्व फाइबर) होते हैं। स्नायुतंतुओं की लच्छियाँ अलग अलग बँधी रहती हैं। इनमें से प्रत्येक को तंत्रिका (नर्व) कहते हैं। प्रत्येक में कई एक तंतु रहते हैं। तंत्रिकाओं के समुदाय को तंत्रिकातंत्र (नर्वस सिस्टम) कहते हैं। ये तंत्र तीन प्रकार के होते हैं:
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