Hindi, asked by viratcricket, 9 months ago

(iii) असावधानी
(iv) साहसी
(ख) पोटोमा
(1) बहादुर था परन्तु इसे व्यक्त नहीं करता था।
(ii) बहादुर था तथा अपनी बड़ाई करता था।
(iii) बहादुर नहीं था परन्तु इसकी बड़ाई करता था।
(iv) अधैर्यवान तथा आलसी था।
(ग) बहादुरी का समानार्थी शब्द है-
(i) दुःसाहसी (i) भय
(घ) साहसी लोग
(i) शारीरिक रूप से शक्तिशाली होते हैं। Oii) चीते से लड़ने के योग्य होते हैं।
(iii) मानसिक रूप से मजबूत होते हैं। (iv) खतरों से बचने के योग्य होते हैं।
(ङ) कहानी की घटना के अन्त में
(i) लोग मनुट की कायरता समझ गये।
(ii) मनुट समझ गया कि पोंटोमा उसका शत्रु है।
(iii) चीते ने मनुट पर आक्रमण किया।
(iv) मनट समझ गया कि सच्ची वीरता क्या है।​

Answers

Answered by veenabais
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Answer:

पानीपत का तीसरा युद्ध अहमद शाह अब्दाली और मराठा सेनापति सदाशिव राव भाऊ के बीच 14 जनवरी 1761 को वर्तमान पानीपत के मैदान मे हुआ जो वर्तमान समय में हरियाणा में है, इस युद्ध में भील प्रमुख इब्राहीम ख़ाँ गार्दी ने मराठों का साथ दिया [1]। इस युद्ध मे दोआब के अफगान रोहिला और अवध के नवाब शुजाउद्दौला ने अहमद शाह अब्दाली का साथ दिया।मुग़ल साम्राज्य का अंत (1748 - 1857) में शुरु हो गया था, जब मुगलों के ज्यादातर भू भागों पर मराठाओं का आधिपत्य हो गया था। 1739 में नादिरशाह ने भारत पर आक्रमण किया और दिल्ली को पूर्ण रूप से नष्ट कर दिया। 1757 ईस्वी में रघुनाथ राव ने दिल्ली पर आक्रमण कर दुर्रानी को वापस अफ़गानिस्तान लौटने के लिए विवश कर दिया तत-पश्चात उन्होंने अटक और पेशावर पर भी अपने थाने लगा दिए। जिससे अब अहमद शाह दुर्रानी को मराठो का संकट पैदा हो गया और अहमद शाह दुर्रानी को ही नहीं अपितु संपूर्ण उत्तर भारत की शक्तियों को मराठों से संकट पैदा हो गया जिसमें अवध के नवाब सुजाउद्दौला और रोहिल्ला सरदार नजीब उददोला भी सम्मिलित थे। मराठों ने राजपूताना मे जाना शुरू कर दिया जिससे राजस्थान के सभी राजपूत राजा जैसे जयपुर के राजा माधो सिंह जी इनसे रूष्ट हो गए और इन सब ने मिलकर ठाना कि मराठों को सबक सिखाया जाए उनकी दृष्टि में मराठों को उस समय ऐसा व्यक्ति था जो सबक सिखा सकता था और वह अहमद शाह दुर्रानी जो कि दुर्रानी साम्राज्य का संस्थापक था और 1747 में राज्य का सुल्तान बना था सब ने अहमदशाह को भारत में आने का न्योता दिया यह समाचार पहुंंचा

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