(iii) भाग्यवाद और शोषण किसका प्रतीक है?
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"भाग्यवाद आवरण पाप का और शस्त्र शोषण का। जिससे रखता दबा एक जन भाग दूसरे जन का।। ब्रह्मणवादी मान्यता के अनुसार आत्मा अमर है, इंसान के पूर्व जन्म के कर्मों के अनुसार ही उसे नया जन्म या योनि प्राप्त होते हैं। उन में उसे अपने पूर्वक्रत कर्मानुसार ही आयु, जाति और सुख सुविधाओं की जीवन में प्राप्ति होती है।"
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