(iii) पेड़-पौधों के साथ मानव का बहुत पुराना संबंध है। वृक्षों के अभाव में जीवन की कल्पना भी नहीं की जा सकती। पेड़-पौधे मनुष्य की
अनेक प्रकार की आवश्यकताओं की पूर्ति करते हैं। ये केवल सौंदर्य और सुरक्षा के साधन मात्र नहीं हैं, अपितु हमारे जीवन दाता भी हैं। जिस प्रकार
माता अपने बच्चों का पालन-पोषण करती है, वैसे ही पेड़-पौधे भी हमें शुद्ध वायु देकर जीवित रखते हैं। पेड़-पौधों से प्राप्त अनेक पदार्थों पर
अनेक उद्योग-धंधे आश्रित रहते हैं। ये वातावरण को शुद्ध करने के साथ-साथ प्रदूषण भी रोकते हैं। दुर्भाग्यवश जिस प्रकार वनों को काटा जा रहा
है, उनके कारण सूखा, बाढ़, भूकंप जैसी प्राकृतिक विपत्तियों का सामना करना पड़ रहा है। भारतीय-संस्कृति में तो अनेक वृक्षों को पवित्र माना
गया है। वृक्षों के महत्त्व को ध्यान में रखते हुए हमारी सरकार ने वन महोत्सव का कार्यक्रम प्रारंभ किया है जो प्रतिवर्ष जुलाई माह में मनाया जाता है।
प्रश्न 1 वनों के काटने से क्या दुष्परिणाम हो रहे हैं?
प्रश्न 2 पेड़-पौधों से मनुष्य की कौन-कौन-सी आवश्यकताएँ पूरी होती हैं?
प्रश्न 3 वृक्षों को मनुष्य का जीवनदाता क्यों कहा जाता है?
प्रश्न 4 'महोत्सव' शब्द का संधि-विच्छेद कीजिए।
प्रश्न 5 'प्रदूषण' और 'प्रतिवर्ष' शब्द किस-किस उपसर्ग से मिलकर बने हैं?
प्रश्न 6 उपर्युक्त गद्यांश का उचित शीर्षक लिखिए।
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