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iii) सच कहा जाए तो भ्रष्टाचार देश के लिए कलंक है। (सामान्य भविष्यकाल)
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क्षणभर वाटून वयता आनी कोंकणी असो भेदभाव आपपरभाव ना आनी हेर जायते प्रकार आसात। ह्या वर्साचो कोंकणी सेवा पुरस्कार म्हालगडी साहित्यीक दर्ज्याच्या पुस्तकांची निर्मिती जाली वळख करुन ताणें आपलें तोंड पऌचे भित्तरी
भ्रष्टाचार का शाब्दिक अर्थ है, भ्रष्ट+आचार = भ्रष्टाचार, अर्थात् भ्रष्ट मतलब बुरा या बिगड़ा हुआ एवं आचार का अर्थ है- आचरण। भ्रष्टाचार के अर्थ से तात्पर्य स्पष्ट है कि वह आचरण जो किसी भी प्रकार से अनुचित और अनैतिक हो। भ्रष्टाचार के अर्थ को सरल तरीके से परिभाषित किया जा सकता है – खराब आचरणवाला अर्थात बेईमान।
भ्रष्टाचार एक ऐसा अपराध है। जिसका शिकार सभी कभी न कभी एक बार जरूर हुए हैं। भ्रष्टाचार आज एक प्रकार का व्यवसाय बन चुका है। छोटे-छोटे कामों के लिए भी आज घूस ली जाती है।
भ्रष्टाचार एक अपराध है परन्तु हमारे ही बीच यह अपराध बार-बार किसी न किसी रूप में होता रहता है, मगर हम जाने-अनजाने में या नजर अन्दाज़ करके यह अपराध होने देते हैं। या फिर पता होते हुए भी चुप रहकर उस अपराध का हिस्सा बन जाते हैं, क्योंकि अपराध करने वाले से बड़ा अपराधी अपराध को सहने वाला होता है।
भ्रष्टाचार आज के दौर में हर एक कार्य के क्षेत्र में फैल चुका है। भ्रष्टाचार के विभिन्न क्षेत्र जैसे सरकारी/सार्वजनिक क्षेत्र में, राजनैतिक भ्रष्टाचार, पुलिस द्वारा भ्रष्टाचार, न्यायिक भ्रष्टाचार, शिक्षा प्रणाली में भ्रष्टाचार, श्रमिक संघों का भ्रष्टाचार, धर्म में भ्रष्टाचार, दर्शन में भ्रष्टाचार, उद्योग जगत का भ्रष्टाचार।
भ्रष्टाचार किसे कहते है?
भ्रष्टाचार का मतलब है बुरा व्यवहार करना, अर्थात किसी भी काम को अगर अपने फायदे के लिए या नियमों के खिलाफ जा कर या गलत तरीके से किया जाए, तो वह भ्रष्टाचार कहलाता है। अक्सर लोग लालच के लिए अनुचित काम/ गलत काम कर बैठते हैं, जो की भ्रष्टाचार है। भ्रष्टाचार करने वाला व्यक्ति भ्रष्टाचारी कहलाता है।
भ्रष्टाचार फैलाने के तरीके
देश मे भ्रष्टाचार कुछ इस तरीके से बढ़ता ही जा रहा है। खास तोर से नीचे दिये गए तरीके आपको अपने आस पास या किसी न किस तरह से सुनने को मिल जाते है।
घूस (रिश्वत)।
चुनाव में धांधली।
सेक्स के बदले पक्षपात।
हफ्ता वसूली।
जबरन चन्दा लेना।
बलात धन ऐंठना एवं भयादोहन।
विवेकाधिकार का दुरुपयोग।
भाई-भतीजावाद (Nepotism)
अपने विरोधियों को दबाने के लिये।
सरकारी मशीनरी का दुरुपयोग।
भ्रष्ट विधान बनाना।
न्यायाधीशों द्वारा गलत या पक्षपातपूर्ण निर्णय।
कालाबाजारी करना।
व्यापारिक नेटवर्क।
चार्टर्ड एकाउन्टेन्टों द्वारा किसी बिजनेस के वित्तीय कथनों पर सही राय न लिखना या उनके गलत आर्थिक कार्यों को छुपाना।
ब्लैकमेल करना, टैक्स चोरी, झूठी गवाही, झूठा मुकदमा, परीक्षा में नकल।
भ्रष्टाचार कैसे फैलता है?
आजाद हिंदुस्तान की तकदीर में भ्रष्टाचार का दिमक कुछ इस तरह लगा है कि आज जीवन, समाज और सरकार का कोई भी क्षेत्र ऐसा नहीं बचा जहाँ भ्रष्टाचार न फैला हो। 1 लाख 76 रुपये का 2G घोटाला व 1 लाख 2300 करोड़ का राष्ट्रीय मंण्डल खेल घोटाला का काला धन क्या साबित करता है।
ठेकेदार सरकारी ठेके के नाम पर ठगता है।
न्यायाधीश गलत न्याय के नाम पर लूटता है।
पत्रकार खबर को दबाने व झूठे प्रचार के नाम पर रिश्वत ले कर मालामाल होते हैं।
शिक्षक शिक्षा बेचने पर उतारु रहते हैं।
डाक्टर इंसान के अंग बेचने और न्यायाधीश अपने ईमान को बेच देते हैं।
यह सब सिर्फ चन्द रिश्वत व पैसों के लिए अपना ईमान व अपनी इंसानियत को बेच देते हैं।
इन्ही कुछ मुख्य कारणों की वजह से आज भी भ्रष्टाचार देश में बढ़ता ही जा रहा है।
भ्रष्टाचार के दुष्प्रभाव
देश मे भ्रष्टाचार के होने से देश की दुर्दशा हो गयी है, गरीब ज्यादा गरीब व अमीर ज्यादा अमीर होता जा रहा है। भ्रष्टाचार के बहुत से दुष्प्रभाव है चलिये जानते है।
भ्रष्टाचार के कारण देश की आर्थिक विकास पर रोक लग गया है।
भ्रष्टाचार के कारण से समाज में अराजकता का जन्म हुआ।
काले धन में वृद्धि हुई।
अमीर – गरीब के बीच भेदभाव को बढ़ावा मिला।
जातिवाद और भाषावाद के बीच व भेदभाव को बढ़ावा मिला।
नैतिक मूल्यों का ह्मस।