ईमानदारी (बाल कृष्ण भट्ट) निबंध का सार लिखिए।
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ईमानदारी (बाल कृष्ण भट्ट) निबंध का सार...
‘ईमानदारी’ निबंध ‘बाल कृष्ण भट्ट’ द्वारा लिखा गया एक ऐसा निबंध है, जिसमें उन्होंने ईमानदारी के महत्व को प्रतिपादित करते हुए अपने विचार अभिव्यक्त किए हैं।
लेखक के अनुसार भारतीय समाज में पहले व्यापारी ईमानदारी के भरोसे ही अपना व्यापार करता था। व्यापारी लोग बहुत अधिक पढ़े लिखे ना होने के बावजूद भी हजारों लाखों का लेनदेन केवल इमानदारी के कारण संभव कर पाते। वह किसी व्यक्ति विशेष को उसकी इमानदारी से प्रभावित होकर लाखों का माल खुशी खुशी दे देती थी।
लेखक कहता है कि जैसे-जैसे सरकारी कानून लागू हुए बनते गए वैसे वैसे लोगों में बेईमानी आती गई। लोग के स्वभाव में जालसाजी और फरेब शामिल हो गया है। लेखक का कहना है, कोई भी कार्य छोटा बड़ा नहीं होता। यदि हम अपने काम के प्रति ईमानदार हैं तो हमें समाज में स्वभाविक रूप से प्रतिष्ठा और सम्मान मिलेगा। जो मनुष्य परिश्रम से नही डरता, उसका मन हमेशा स्थिर रहता है और वह मनुष्य अपने परिश्रम के दम पर मिट्टी को भी सोना बनाने की सामर्थ्य रखता है।
लेखक के अनुसार निकृष्ट काम करने वाले भी अपनी ईमानदारी के कारण ऊँचा पद पा लेते हैं, क्योंकि उनकी ईमानदारी के महत्व डंका बोलता है। जो व्यक्ति सच में ईमानदार होता है, बेईमानी सोने को भी मिट्टी के समान समझता है।
लेखक के अनुसार बहुत से लोग अपनी दुर्भाग्य का रोना रोते हैं, क्योंकि वह कठोर परिश्रम नहीं करना चाहते, वे अपने कर्म के प्रति सजग नहीं होते और पहले से ही हार मान कर अपनी भाग्य को दोष देने लगते हैं। समाज में ईमानदार व्यक्ति जितने अधिक लोगों का विश्वास पात्र होता है, उससे अधिक और कोई व्यक्ति नहीं होता चाहे, वह कितना भी बड़ा विद्वान या धनाढ्य क्यों ना हो। इसलिए ईमानदारी एक ऐसा गुण है जो बड़े-बड़े विद्वानों और धनवान लोगों पर भी भारी पड़ता है। बेईमानी का फल हमेशा दुख भरा होता है जबकि ईमानदारी का फल हमेशा अच्छा ही मिलता है।
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