ईमानदारी और सच्चाई के ऊपर चार वाक्य
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मानव जीवन में ईमानदारी और सच्चाई के गुणों का होना आवश्यक हैं. अक्सर देखा गया हैं जो इन्सान सच्चाई की राह पर चलता हैं वह ईमानदार भी होता हैं. तथा अपने कर्तव्यों के लिए भी उतना ही जागरूक होता हैं जितना कि वह अपने अधिकारों को लेकर होता हैं.हम समाज के बीच रहते हैं, हमारा नित्य कई लोगों से सम्पर्क होता हैं. यदि हम दूसरों के साथ परस्पर अच्छा व्यवहार करेगे तो निश्चय ही वे भी हमारे प्रति आशावान बनेगे तथा हमारी मदद भी करेगे तथा आपसी रिश्ते भी अच्छे ही होंगे.
एक सच्चा और ईमानदार इन्सान स्पष्टवादी होता हैं. उसका व्यवहार दिखावे की बजाय स्वप्रेरित होता हैं. उनके व्यवहार, भाषण में इनके ये गुण स्पष्ट देखे जा सकते हैं. यदि एक व्यक्ति ईमानदारी और सच्चाई की राह पर चलता हैं. तो समाज में हर कोई उसका सम्मान करेगा तथा वक्त पड़ने पर वे उनके साथ खड़े नजर आएगे.
वहीँ दूसरी तरफ स्वार्थी, झूठे और चोर प्रवृत्ति के व्यक्ति कभी किसी का भला नहीं चाहते हैं वे हमेशा औरों को पीड़ित ही देखना चाहते हैं. इस तरफ के लोगों के साथ समाज भी वैसा ही व्यवहार व सोच रखता हैं जैसी वे स्वयं रखते हैं.
हमारे यहाँ एक कहावत हैं कि सच परेशान हो सकता हैं मगर पराजित नहीं. आज हम इसके प्रत्यक्ष उदहारण भी देख सकते हैं. जहाँ स्वार्थी, अपने कर्तव्यों से विमुख, गलत कर्मों में लिप्त तथा सरकारी पदों पर होने पर भी घूस लेने वाले लोग आराम की जिन्दगी जीते हैं. वही सच्चाई और ईमानदारी का जीवन जीने वाला किसान, मजदूर या छोटा कर्मचारी, व्यापारी बड़ी मुश्किल से अपने परिवार का गुजारा कर पाता हैं.
ईश्वर सभी के कर्मों पर नजर रखता हैं वह इन्सान को वैसा ही फल देता हैं जैसे उसके कर्म हैं. यदि आप अपने परिवेश के लोगों को गहराई से समझते हैं तो पाएगे कि सच्चाई की राह पर चलने वाला व्यक्ति मुश्किलों में जीवन व्यतीत कर रहा हैं तथा चोर मौज मस्ती कर रहे हैं. मगर समय के चक्र का पहिया घुमते ही ये स्थितियां उलट हो जाएगी. जब ईमानदार व्यक्ति अपने सत्कर्मों के फल पाएगा तथा चोर लोग जेल की सलाखों के पीछे होंगे.
ईश्वर सभी के कर्मों पर नजर रखता हैं वह इन्सान को वैसा ही फल देता हैं जैसे उसके कर्म हैं. यदि आप अपने परिवेश के लोगों को गहराई से समझते हैं तो पाएगे कि सच्चाई की राह पर चलने वाला व्यक्ति मुश्किलों में जीवन व्यतीत कर रहा हैं तथा चोर मौज मस्ती कर रहे हैं. मगर समय के चक्र का पहिया घुमते ही ये स्थितियां उलट हो जाएगी. जब ईमानदार व्यक्ति अपने सत्कर्मों के फल पाएगा तथा चोर लोग जेल की सलाखों के पीछे होंगे.
1)दुनिया में सभी चीजें खरीदी जा सकती है मगर ईमानदारी और सच्चाई नहीं।
2). जो व्यक्ति कर्म करने में निष्ठावान है वही इमानदारी है और यदि वह पूरी लगन से अपना ध्यान एकत्रित कर अपना कर्म करें और उसमें झूठ कपट का उपयोग ना करें उसे सच्चाई कहते हैं।
3)ईमानदारी और सच्चाई से हमारे आसपास के लोगों को हमारे ऊपर अधिक से अधिक विश्वास बन जाता है।
4) हमें ईमानदारी और सच्चाई का साथ कभी नहीं छोड़ना चाहिए।