ईमानदारी पर अनुच्छेद लिखिय
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ईमानदारी का अर्थ जीवन के सभी आयामों में एक व्यक्ति के लिए सच्चा होना है। इसके अन्तर्गत किसी से भी झूठ न बोलना, कभी किसी को भी बुरी आदतों या व्यवहार से तकलीफ नहीं देना शामिल है। ईमानदार व्यक्ति कभी भी उन गतिविधियों में शामिल नहीं होता, जो नैतिक रुप से गलत होती हैं। ईमानदारी किसी भी नियम और कानून को नहीं तोड़ती है। अनुशासित रहना, अच्छे से व्यवहार करना, सच बोलना, समयनिष्ठ होना और दूसरों की ईमानदारी से मदद करना आदि सभी लक्षण ईमानदारी में निहित होते हैं।
ईमानदारी क्या है
ईमानदारी का अर्थ सभी के लिए, सभी पहलुओं पर ईमानदार होना है। यह किसी को मजबूर किए बिना, किसी भी परिस्थिति में सार्वभौमिक अच्छाई पर विचार करके कुछ अच्छा करने का कार्य है। ईमानदारी वह रास्ता है, जिसके अन्तर्गत हम दूसरों के लिए स्वार्थरहित तरीके में कुछ अच्छा करते हैं। कुछ लोग ईमानदार होने का केवल दिखावा करते हैं और यह मासूम लोगों को धोखा देने का गलत तरीका है। ईमानदारी वास्तव में ऐसा गुण है, जो एक व्यक्ति के अच्छे गुणों को दर्शाता है।
जीवन में ईमानदारी की भूमिका
ईमानदारी पूरे जीवन भर बहुत सी महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है, जिसे खुली आँखों से आसानी से बहुत स्पष्ट रुप से देखा जा सकता है। समाज के लोगों द्वारा ईमानदार कहा जाना, उस व्यक्ति के लिए सबसे अच्छा पूरिपूरक है। यह उस व्यक्ति के द्वारा जीवन में कमाई हुई वास्तविक सम्पत्ति है, जो कभी भी खत्म नहीं होती है। आजकल, समाज में ईमानदारी की कमी लोगों के बीच अन्तर का सबसे बड़ा कारण है। यह अभिभावकों-बच्चों और विद्यार्थियों-शिक्षकों के बीच उचित पारस्परिक सम्पर्क के अभाव के कारण है। ईमानदारी कोई वस्तु नहीं है, जिसे खरीदा या बेचा जा सके। इसे धीरे-धीरे, बच्चों में एक अच्छी आदत के रुप में विकसित करने के लिए, स्कूल और घर सबसे अच्छे स्थान है।
घर और स्कूल वे स्थान हैं, जहाँ एक बच्चा नैतिकता को सीखता है। इस प्रकार, शिक्षा प्रणाली में बच्चों को नैतिकता के करीब रखने के लिए कुछ आवश्यक रणनीति होनी चाहिए। बच्चों को उनके बचपन से ही, घरों और स्कूलों में अभिभावकों और शिक्षकों की मदद से ईमानदार होने के लिए उचित तरह से निर्देश देने चाहिए। किसी भी देश के युवा, उस देश के भविष्य होते हैं, इसलिए उन्हें नैतिक चरित्र को विकसित करने के लिए बेहतर अवसर देने चाहिए, ताकि वे देश का बेहतर तरीके से नेतृत्व कर सकें।
ईमानदारी मनुष्य की समस्याओं का सच्चा समाधान है। आजकल, केवल ईमानदार लोगों की संख्या में कमी होने के कारण, समाज में प्रत्येक जगह भ्रष्टाचार और बहुत सी समस्याएं हैं। इस तेज और प्रतियोगी वातावरण में, लोग नैतिक मूल्यों को भूल गए हैं। सभी चीजों को प्राकृतिक तरीके से चलने देने के लिए, इस बात पर पुनर्विचार करना बहुत आवश्यक है कि, समाज में ईमानदारी को वापस कैसे लाया जाए?
निष्कर्ष
सामाजिक और आर्थिक सन्तुलन को बनाने के लिए लोगों को ईमानदारी के मूल्य को समझना होगा। लोगों के द्वारा ईमानदारी का अनुसरण करना बहुत आवश्यक है, क्योंकि यह आधुनिक समय की अनिवार्य आवश्यकता बन गई है। यह एक अच्छी आदत है, जो एक व्यक्ति को कठिन परिस्थितियों को सुलझाने और संभालने में पर्याप्त सक्षम बनाती है।
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ईमानदारी का अर्थ जीवन के सभी आयामों में एक व्यक्ति के लिए सच्चा होना है। इसके अन्तर्गत किसी से भी झूठ न बोलना, कभी किसी को भी बुरी आदतों या व्यवहार से तकलीफ नहीं देना शामिल है। ईमानदार व्यक्ति कभी भी उन गतिविधियों में शामिल नहीं होता, जो नैतिक रुप से गलत होती हैं। ईमानदारी किसी भी नियम और कानून को नहीं तोड़ती है।
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