Hindi, asked by vaanip, 6 months ago

ईमानदारी” पर एक कहानी / कविता बनाइए ​

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Answered by arti6395
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Answer:

साल फिर से बदल रहा है,

आज भी एक साईकिल पर सवार हूँ,

अपनी जरूरतें अलग रख कर, घर की ज़रूरतें पहले पूरी करता हूँ,

फिर भी न जाने सबको नाखुश मैं रखता हूँ,

माना कि कड़वी है बोली मेरी,

अपने हो या पराया, सच बोलकर,

सिर्फ उनकी अच्छाई चाहता हूँ,

फिर भी न जाने सबको नाखुश मैं रखता हूँ,

कच्ची उम्र में छूटा पिता का साया,

इसलिए अपने हल्के से बुखार में डर जाता हूँ,

एक पिता का मतलब अच्छे से समझता हूँ,

सख्ती और अनुशासन भी रखता हूँ,

अगर रख दे वो (बच्चे) किसी पर हाथ,

तो उसे लाकर, उनकी मुस्कान भी बनता हूँ,

फिर भी न जाने सबको नाखुश मैं रखता हूँ,

हमेशा अपने उसूलों पर चला हूँ,

गलत को गलत, और

सही को सही बोलता हूँ,

जिससे सबकी आँखो में खलता हूँ,

इसलिए सबको नाखुश मैं रखता हूँ…

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