ईर्ष्या गद्यांश का सटीक शीर्षक बताइए
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जिस मनुष्य के हृदय में ईर्ष्या घर बना लेती है वह उन चीजों से आनन्द नहीं उठाता जो उसके पास मौजूद हैं बल्कि उन वस्तुओं से दुख उठाता है जो दूसरों के पास मौजूद हैं। वह अपनी तुलना दूसरों से करता रहता है और इस तुलना में अपने पक्ष के सभी अभाव उसके हृदय पर डंक मारते रहते हैं। ... ईर्ष्या का यही अनोखा वरदान है।
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