‘ईर्ष्या तू न गई मेरे मन से’ और ‘असल धन’ पाठ में क्या समानता है?पाठ के आधार पर स्पष्ट कीजिए?
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दिनकर जी ने ईर्ष्या, तू न गई मेरे मन से' निबन्ध में ईर्ष्या और चिन्ता की तुलना की है। दोनों ही जलाती हैं। किन्तु चिन्ता से मनुष्य तथा ईष्र्या से समाज प्रभावित होता है।
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