ईर्ष्या व्यक्ति के व्यवहार में अनेक दुर्गुणों को जन्म देती है पर अनुच्छेद likhiye ( short and sweet )
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ईर्ष्या एक भावना है, और शब्द आम तौर पर विचारों और असुरक्षा की भावना को दर्शाता है। ईर्ष्या एक नकारात्मक संवेग है।यह एक भावनात्मक पहलू है जो शरीर मे अपनी सोच के कारण उत्पन्न होती है। इंसान की सोच व्यवहार के जन्म दाता है। यदि तुलनात्मक विचार मन मे उठे तो वह ईर्ष्या का रूप निश्चित ही ले लेगा चूंकि भावना आत्मगत है सबसे पहले स्वयं को नुकसान पहुंचाएगी । उसके बाद आसपास के वातावरण को दूषित करेगी ।
असफलता धीरे-धीरे दरवाजा खटखटाने लगती है।
तरह-तरह के मानसिक और शारीरिक रोग शरीर मे होने लगते है ईर्ष्या से क्रोध बढने लगता है व्यवहार मे कटुता आ जाती है इसलिए बहुत ही नुकसान पहुंचाती है
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