ईस्ट इंडिया कंपनी और बंगाल के नवाब में आपसी तकरार के क्या कारण थे
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भारत मे अंग्रेजो का आगमन
16वीं – 17 वीँ शताब्दी मेँ पुर्तगाल, हालैंड, फ्रांस, डेनमार्क और इंग्लैण्ड आदि यूरोपीय देशो के लोग व्यापारी बन कर भारत आये। लेकिन इनमेँ अंग्रेज सर्वाधिक सफल रहे।
भारत आने वाला प्रथम अंग्रेज व्यक्ति जॉन मिल्डेन हॉल था, वह 1599 मेँ भारत आया।
1599 में ही भारत ब्रिटिश व्यापारियो के एक दल ने ‘ब्रिटिश मर्चेंट’ नामक कंपनी की स्थापना की।
31 दिसंबर, 1600 ई. को ब्रिटेन की महारानी एलिजाबेथ प्रथम द्वारा प्रदान किए गए एक चार्टर द्वारा ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी अथवा ‘दि गवर्नर एंड कंपनी ऑफ मर्चेंट ऑफ ट्रेडिंग इन टू द ईस्ट इंडीज’ की स्थापना की गयी।
1608 ई. में ब्रिटेन के राजा जेम्स प्रथम के दूत के रुप मेँ हॉकिंस नामक एक अंग्रेज मुग़ल सम्राट जहांगीर के दरबार मेँ आया।
जहाँगीर ने हाकिंस के व्यवहार से प्रभावित होकर उसे 400 का मनसब प्रदान कर आगरा मेँ उसके लिए जमीन प्रदान की।
अंग्रेजों ने 1612 ई. में एक समुद्री युद्ध मेँ पुर्तगालियोँ को पराजित कर दिया।
1613 ईस्वी मेँ जहाँगीर द्वारा जारी एक शाही फरमान द्वारा अंग्रेजो को सूरत मेँ व्यापारिक कोठी स्थापित करने की अनुमति मिली।
पुर्तगालियोँ ने मुग़ल सम्राट जहांगीर पर दबाव डाला की वह अंग्रेजो को दी गई व्यापारिक सुविधाएँ वापस ले ले।
पुर्तगालियों के कुचक्रों का मुकाबला करने के लिए अंग्रेजो ने भी मुगल दरबार मेँ राजदूत भेजने का निश्चय किया।
सर टामस रो नामक एक अंग्रेज 1615 ई. में जेम्स प्रथम के दूत के रुप मेँ जहाँगीर के दरबार मेँ आया।
सर टामस रो मुग़ल दरबार मेँ जनवरी 1616 से फरवरी 1618 तक रहा। इस बीच उसने मुग़ल दरबार से साम्राज्य के विभिन्न हिस्सोँ मेँ व्यापार तथा दुर्गीकरण की अनुमति प्राप्त कर ली।
1619 ई. तक आगरा, अहमदाबाद, भड़ौच एवं बड़ौदा मेँ ब्रिटिश कारखाने स्थापित हो गए।
1632 ई. में अंग्रेजो ने गोलकुंडा के सुल्तान से फरमान प्राप्त कर 500 पैगोड वार्षिक कर अदा करने के बदले गोलकुंडा राज्य मेँ स्थित बंदरगाहों से व्यापार करने का एकाधिकार प्राप्त किया।
पूर्वी भारत मेँ पहली अंग्रेजी औद्योगिक इकाई 1633 ई. मेँ उड़ीसा के बालासोर मेँ स्थापित की गई।
1639 ई. मेँ फ्रांसिस डे नामक एक अंग्रेज ने चंद्रगिरी के राजा से मद्रास पट्टे पर प्राप्त कर लिया। अंग्रेजो ने यहाँ फोर्ट सेंट जॉर्ज नामक किले का निर्माण किया।
अंग्रेजो ने बंगाल मेँ अपनी पहली फैक्ट्री शाहजहाँ के काल मेँ बंगाल के सूबेदार भुजा की आज्ञा से 1651 मेँ स्थापित की।
1661 में पुर्तगाल की राजकुमारी कैथरीन ब्रिगेंजा का विवाह ब्रिटेन के चार्ल्स द्वितीय से करके मुंबई अंग्रेजो को दहेज के रुप मेँ दे दी।
चार्ल्स द्वितीय ने 1668 मेँ मुंबई को दस पौण्ड के वार्षिक किराए पर ईस्ट इंडिया कंपनी को दे दिया।
गेराल्ड औंगियार बंबई का संस्थापक था। वह 1669 से 1667 तक मुंबई का गवर्नर रहा।
जॉब चारनाक नामक एक अंग्रेज ने कालिकाता, गोविंदपुर और सूतानाटी को मिलाकर आधुनिक कलकत्ता की नींव डाली। कोलकाता मेँ 1700 ई. में फोर्ट विलियम की स्थापना की गई।
फोर्ट विलियम का प्रथम गवर्नर रुर चार्ल्स आयर को बनाया गया। इसी समय बंगाल को मद्रास से स्वतंत्र कर अलग प्रेसीडेंसी बना दिया गया।
बंगाल के नवाब
मुर्शीद कुली खां (1717 ई. से 1727 ई.)
बंगाल प्रांत, मुग़ल कालीन भारत का सबसे समृद्ध प्रांत था। औरंगजेब ने मुर्शीद कुली खाँ को बंगाल का दीवान नियुक्त किया था, लेकिन 1707 मेँ औरंगजेब की मृत्यु के बाद मुग़ल साम्राज्य की कमजोरी का लाभ उठाकर 1717 ई. में इसने स्वयं स्वतंत्र घोषित कर दिया।
1717 ई. में मुग़ल साम्राज्य फरूखसियर ने एक फरमान द्वारा ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी को बंगाल मेँ व्यापार करने की रियायत दे दीं।
इस फरमान द्वारा बंगाल मेँ 3000 रु. वार्षिक कर अदा करने पर कंपनी को उसके समस्त व्यापार मेँ सीमा शुल्क से मुक्त कर दिया गया। साथ ही कोलकाता के आसपास के 38 गांवों को खरीदने का अधिकार मिल गया।
फरूखसियर का यह फरमान अंग्रेजो के लिए तो मील का पत्थर साबित हुआ लेकिन बंगाल के नवाबोँ के लिए यह सिरदर्द बन गया।
अंग्रेजो ने इस विशेषाधिकार का दुरुपयोग शुरु किया, तो मुर्शीद कुली खाँ ने इसका विरोध किया।
मुर्शीद कुली खाँ ने फरूखसियर द्वारा दिए गए फरमान का बंगाल मेँ स्वतंत्र प्रयोग नियंत्रित करने का प्रयत्न किया।
मुर्शीद कुली खाँ ने बंगाल की राजधानी को ढाका से मुर्शिदाबाद स्थानांतरित किया।
1726 ई. में मुर्शीद कुली खाँ की मृत्यु के बाद उसके दामाद शुजाउद्दीन ने 1727 से 1739 तक बंगाल पर शासन किया। 1739 में शुजाउद्दीन की मृत्यु के बाद सरफराज खां ने सत्ता हथिया ली।