ईशा हमें दो यह वरदान,
पढ़े-लिखें हम बनें महान्।
सबसे हिल-मिल रहना सीखें
दु:ख ददों को सहना सीखें।
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कष्ट पड़े चाहे कितने ही,
पर अधेरों पर हो मुसकान
सच्चे पथ पर सदा बढ़े हम,
सच्चे प्रण पर सदा अड़ें हम,
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Nice poem
What we have to do ?
Mark as brainliest✌✌✌✌✌✌✌✌✌✌✌
Please✌✌✌✌✌✌
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