ईश्वर के गुडो का वर्णन नहीं किया जा सकता
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ईश्वर निराकार है, इसका अर्थ है कि उसका कोई आकार व आकृति नहीं है। निराकार का एक कारण उसका सर्वव्यापक व अनन्त होना भी है। ईश्वर इस समस्त चराचर जगत व ब्रह्माण्ड में सर्वान्तर्यामी स्वरूप से व्यापक है। उसकी लम्बाई व चैड़ाई अनन्त होने व उसके मनुष्य के समान आंख, नाक, कान, मुख व शरीर न होने के कारण वह अस्तित्ववान् होकर भी आकर से रहित अर्थात् निराकार है। ईश्वर का एक गुण सर्वज्ञ होना भी है। सर्वज्ञ का अर्थ है कि वह अपने, जीवात्मा और सृष्टि के विषय में भूत व वर्तमान का सब कुछ जानता है और उसे भविष्य में कब क्या करना है वह भी जानता है। वैदिक सिद्धान्त है कि ईश्वर त्रिकालदर्शी है जिसका अर्थ है कि ईश्वर जीवों के कर्म आदि व्यवहारों की अपेक्षा से भूत, भविष्य व वर्तमान आदि को जानता है। ईश्वर में ऐसे असंख्य व अनन्त गुण हैं जिसे वेदाध्ययन व सत्यार्थप्रकाश आदि ग्रन्थों का अध्ययन कर जाना जा सकता है।