ईश्वर की प्राप्ति कब सम्भव है ? " साखी " के आधार पर स्पष्ट कीजिए।
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भावार्थ – यहाँ कबीर कह रहे हैं की जब तक मनुष्य के मन में अहंकार होता है तब तक उसे ईश्वर की प्राप्ति नही होती। जब उसके अंदर का अंहकार मिट जाता है तब ईश्वर की प्राप्ति होती है।
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मित्र कबीर के अनुसार ईश्वर की प्राप्ति मंदिर या मस्जिद मे जाकर नहीं अपितु, सच्चे मन से उनकी भक्ति करने से होती है। यदि मनुष्य के अंदर से अहंकार समाप्त हो जाता है, तो उसे स्वत: ही ईश्वर की प्राप्ति हो जाती है।
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