ईश्वर की प्रशंसा के गीत कौन गा रही हैं?
Answers
सागर और नदियों की लहरें ईश्वर की प्रशंसा में गीत गा रही है।
Explanation:
यह प्रश्न ‘जयशंकर प्रसाद’ द्वारा रचित ‘प्रभो’ कविता के पाठ से संबंधित है। इस कविता में कवि ने ईश्वर की महिमा का गुणगान किया है। कवि के अनुसार प्रकृति के सभी तत्व ईश्वर की प्रशंसा में गुणगान कर रहे हैं। ईश्वर जो दया का सागर है जिसके मन में सबके प्रति अपार करुणा है और जो सब पर अपनी करुणा निरंतर बरसाता रहता है और प्रकृति के सारे तत्व भी ईश्वर की महिमा का गुणगान अपने-अपने अंदाज में करते हैं।
कवि जयशंकर प्रसाद कहते हैं ईश्वर की दया की विस्तार की कोई सीमा नहीं। समुद्र को देखकर भी मानव ईश्वर की दया की अनंतता की थाह पा सकता है, क्योंकि समुद्र की लहरें भी मनुष्य को कुछ बताना चाहती हैं। समुद्र और नदियों की लहरों अर्थात तरंगों से के बहने से जो कल-कल की ध्वनि उत्पन्न होती है, वह ईश्वर की प्रशंसा के गान हैं। इस तरह नदी और समुद्र की तरंगे अपनी कल-कल की ध्वनि से निरंतर ईश्वर के प्रशंसा में गीत गाती रहती हैं।