Hindi, asked by harshvardhanpatidar1, 6 months ago

ईश्वर कड़ कड़ में व्याप्त है पर हम उन्हें क्यों नहीं देख पाते​

Answers

Answered by anita6675
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Answer:

ईश्वर कण-कण में व्याप्त है, पर हम उसे क्यों नहीं देख पाते?

उत्तर: ईश्वर कण-कण में व्याप्त है फिर भी हम उसे देख नहीं पाते क्योंकि हम उसे उचित जगह पर तलाशते ही नहीं हैं। ईश्वर तो हमारे भीतर है लेकिन हम उसे अपने भीतर ढ़ूँढ़ने की बजाय अन्य स्थानों; जैसे तीर्थ स्थल, मंदिर, मस्जिद आदि में ढ़ूँढ़ते हैं।

Answered by lishasingh7609
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Answer:

हमारा मन अज्ञानता, अहंकार, विलासिताओं में डूबा है। ईश्वर सब ओर व्याप्त है। वह निराकार है। हम मन के अज्ञान के कारण ईश्वर को पहचान नहीं पाते। कबीर के मतानुसार कण-कण में छिपे परमात्मा को पाने के लिए ज्ञान का होना अत्यंत आवश्यक है। अज्ञानता के कारण जिस प्रकार मृग अपने नाभि में स्थित कस्तूरी पूरे जंगल में ढूँढता हैं, उसी प्रकार हम अपने मन में छिपे ईश्वर को मंदिर, मस्जिद, गुरुद्वारा सब जगह ढूँढने की कोशिश करते हैं।

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