ईदगाह कहानी के आधार पर प्रेमचंद कालीन ग्रामीण जीवन की छीव प्रस्तुत कीजिए
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बाल मनोविज्ञान को अभिव्यक्त करने में भी प्रेमचंद की कोई सानी नहीं थी। अमर रचनाकार ने अपनी कहानी ईदगाह के पात्र हामिद से बड़ी-बड़ी बातें कहलवा दी हैं। हामिद दादी के सानिध्य में परिपक्व है और अन्य हमउम्र साथियों की तरह खेल खिलौनों और गुड्डे गुड़ियों के प्रलोभन में नहीं पड़ता। ... प्रेमचंद में यह भावना कूट कूट कर भरी थी।
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ईदगाह कहानी के आधार पर प्रेमचंद कालीन ग्रामीण जीवन की छवि :
- ईदगाह कहानी में लेखक प्रेमचंद ने गांव में ईद के समय कैसा माहौल होता है , इसका वर्णन किया है।
- पूरे तीस रोजों के बाद रमजान अाई थी। लोग बड़े खुश थे। सुहावना मौसम था। खेतों में रौनक थी। वृक्षों में हरियाली थी। आसमान लाल था। सूर्य बड़ा प्यारा लग रहा था। लोग ईदगाह जाने की तैयारियां कर रहे थे।सभी लोग एक दूसरे को ईद की बधाइयां दे रहे थे।
- गांव में हलचल थी। किसी के कुर्ते में बटन नहीं था तो पड़ोसी से सुई धागा लेने भाग रहा था। किसी ने जूते कड़े हो गए तो तेल लेने तेली के घर दौड़ रहा था। कोई जल्दी बैलों को पानी दे रहा था।
- लोग रोज कहते ईद आयेगी ईद आयेगी , आज ईद अा गई थी। लोग ईदगाह भागे जा रहे थे , किसी को गृहस्थी कि कोई चिंता नहीं थी कि ईद के मौके पर सेवैया बनाने के लिए दूध और शक्कर कहां से आयेगी ?
#SPJ3
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