ईदगाह कहानी के प्रमुख विशेषताएं बताइए!
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ईदगाह कहानी श्री मुनशी प्रेमचंद द्वारा लिखित है। उनकी जयंती 31 जुलाई को मनाई जाती है। इस कहानी में ईद के बारे में बताया गया है।
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‘ईदगाह’ कहानी बाल मनोविज्ञान पर आधारित एक ऐसी कहानी है, जिसमे मात्र आठ वर्षीय के बालक हामिद का वयस्कों के समान परिपक्व और समझादारी वाला व्यवहार दर्शाया गया है।
बाल मनोविज्ञान पर आधारित ‘मुंशी प्रेमचंद’ द्वारा लिखी गई “ईदगाह” कहानी एक अप्रतिम कहानी है। यह बाल मनोविज्ञान को गहनता से दर्शाती है। इस कहानी को पढ़कर ज्ञात होता है कि परिस्थितियां उम्र नहीं देखती और एक छोटा सा बालक भी विषम परिस्थितियों में समय से पहले परिपक्व हो जाता है।
- कहानी में हामिद, जो एक मात्र 8 वर्ष का बालक है, वह एक परिपक्व व्यक्ति की भांति किसी तरह समझदारी का परिचय देता है। प्रेमचंद ने इसी बात को रोचकता से दर्शाया है। कहानी का मुख्य पात्र हामिद और उसकी दादी अमीना है। हामिद के माता-पिता इस संसार में नही हैं। वो अपनी बूढ़ी दादी के साथ रहता है। वे बहुत गरीब हैं, उसकी दादी छोटा-मोटा काम करके किसी तरह अपना और हामिद का भरण पोषण करती है। वो हामिद की सारी इच्छाएं पूरी नहीं कर पाती। ईद का त्यौहार जाता है। सब लोग मेले में घूमने जा रहे हैं। हामिद भी मेले में जाने के लिए उत्साहित है।
- हामिद की दादी किसी तरह थोड़े बहुत पैसे जोड़कर तीन आने हामिद को देती है, ताकि वो मेला घूम आये। हामिद अन्य बच्चों के साथ मेला जाता है। यहां सब बच्चे अपने मां-बाप द्वारा दिए पैसों से खिलौने, मिठाई आदि खरीदते है, लेकिन अपने मन पर नियंत्रण कर ये सब नही खरीदता। वह मेले में एक जरूरी चीज लेता है। वह जरूरी चीज है रसोई घर में काम आने वाला चिमटा। हामिद देखता था कि कैसे उसकी दादी के हाथ रोटी बनाते समय जल जाते थे, क्योंकि उसके पास चिमटा नहीं था। हामिद को अपनी बूढ़ी दादी का यह कष्ट बराबर याद रहा, और उसने अपनी इच्छाओं को तिलांजलि देते हुए अपनी बूढ़ी दादी के लिए एक उपयोगी वस्तु खरीदी।
- यह कहानी हामिद की मात्र 8 वर्ष की आयु में परिपक्वता को दर्शाती है। उसके अंदर की संवेदनशीलता को दर्शाती है। इसका कारण यह था कि समय और निर्धनता ने हामिद को अपनी उम्र के बच्चों से ज्यादा समझदार बना दिया था, वो समय से पहले ही परिपक्व हो चुका था, संवेदनशील बन चुका था।
- हामिद के रूप बाल मनोविज्ञान और संवेदनशीलता को सार्थक रूप से प्रस्तुत करने में लेखक प्रेमचंद पूरी तरह सफल रहे हैं।
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