इजी एग्जांपल ऑफ अद्भुत रस
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all the example of same......try any one
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1. अखिल भुवन चर- अचर सब
हरि मुख में लखि मातु।
चकित भई गद्गद् वचन
विकसित दृग पुलकातु॥
2. देख यशोदा शिशु के मुख में, सकल विश्व की माया,
क्षणभर को वह बनी अचेतन, हिल न सकी कोमल काया।
3. चित अलि कत भरमत रहत कहाँ नहीं बास।
विकसित कुसुमन मैं अहै काको सरस विकास।
4. देखरावा मातहि निज अदभुत रूप अखण्ड,
रोम रोम प्रति लगे कोटि-कोटि ब्रह्माण्ड।
हरि मुख में लखि मातु।
चकित भई गद्गद् वचन
विकसित दृग पुलकातु॥
2. देख यशोदा शिशु के मुख में, सकल विश्व की माया,
क्षणभर को वह बनी अचेतन, हिल न सकी कोमल काया।
3. चित अलि कत भरमत रहत कहाँ नहीं बास।
विकसित कुसुमन मैं अहै काको सरस विकास।
4. देखरावा मातहि निज अदभुत रूप अखण्ड,
रोम रोम प्रति लगे कोटि-कोटि ब्रह्माण्ड।
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