-- इकाई योजना एवं दैनिक योजना में अंतर बताते हुए शैक्षिक महत्त्व लिखें ?
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इकाई एवं इकाई योजना का अर्थ
इकाई अथवा ‘यूनिट’ शब्द में निहित धारणा गेस्टाल्ट मनोविज्ञान के समग्रता के सिद्धान्त पर आधारित है। इसके अनुसार ज्ञान एक इकाई है अतः बालकों के सामने ज्ञान को समग्र अथवा इकाई के रूप में प्रस्तुत किया जाना चाहिए। वैसे हरबार्ट ने भी विषय-वस्तु के पारस्परिक संबंधों अर्थात एकीकरण की तरफ ध्यान आकर्षित किया था। शुरु में इकाई को किसी विषय का ऐसा विस्तृत क्षेत्र माना गया जिसका छात्र अध्ययन कर सकता है । बाद में इस धारणा के स्वरूप में परिवर्तन के साथ ही इसे किसी समस्या अथवा योजना से संबंधित सीखने वाली क्रियाओं की समग्रता के रूप में मान्यता प्रदान की गई।
रिस्क के शब्दो में, “इकाई शब्द किसी समस्या अथवा प्रकरण से संबंधित सीखने वाली क्रियायों की समग्रता अथवा एकता को प्रकट करता है।”
बॉसिंग- ने इकाई के अर्थ को स्पष्ट करते हुए लिखा है, “इकाई अर्थपूर्ण तथा एक दूसरे से संबंधित क्रियाओं की एक व्यापक श्रृंखला है जो उस तरह विकसित की जाती है कि छात्रों के उद्देश्यों की पूर्ति करती है तथा उन्हें महत्वपूर्ण शैक्षिक अनुभव प्रदान करती है जिसके कारण उनके व्यवहार में वांछित परिवर्तन होते हैं।”
इस तरह इकाई का अभिप्राय उस ज्ञान, क्रियाओं तथा अनुभवों के एक संगठित रूप से है जो परस्पर संबंधित होते हैं तथा जिनके द्वारा निर्धारित शैक्षिक उद्देश्यों की पूर्ति होती है एवं छात्रों के व्यवहार में अपेक्षित परिवर्तन होते हैं।
इकाई की धारणा का शिक्षण प्रक्रिया में इकाई योजना के रूप में प्रयोग उपयोगी सिद्ध हुआ है। शिक्षा के क्षेत्र में यह एक आधुनिक प्रयत्न है। इसे योजनाबद्ध शिक्षण हेतु जरूरी माना जाने लगा है। इसके अन्तर्गत पहले विषय के पाठ्यक्रम को विभिन्न इकाइयों में बाँटा जाता है तथा फिर इकाइयों को पाठों में विभक्त कर देते हैं। इकाई योजना तैयार करने के पश्चात पाठ-योजना बनाना आसान हो जाता है।
इकाई-योजना के सोपान
इकाई योजना का निर्माण कुछ निश्चित पदों अथवा सोपानों पर आधारित होता है। ये सोपान निम्न हैं-
इकाई के शीर्षक का चुनाव- सबसे पहले इकाई के शीर्षक का चुनाव विषय के पाठ्यक्रम में से किया जाता है।
इकाई के सामान्य उद्देश्यों का निर्धारण– इकाई के शीर्षक के चयन के बाद इकाई के सामान्य उद्देश्यों का निर्धारण किया जाता है।
इकाई का खण्डों में विभाजन- इस सोपान के अन्तर्गत शिक्षण के लिए इकाई का खण्डों में अथवा उप-इकाइयों में विभाजन किया जाता है । इन खण्डों का निर्धारण करते समय यह ध्यान रखा जाना चाहिए कि इनमें क्रमबद्धता तथा सुसम्बद्धता बनी रहे।
इकाई-खण्डों का विकास- इस सोपान में इकाई के खण्डों का विकास किया जाता है। इन खण्डों का विकास करते समय निम्न बातों का ध्यान रखा जाना चाहिए-
(i) खण्ड अथवा उप-इकाई के विशिष्ट उद्देयों का निर्धारण- हर खण्ड अथवा उप-इकाई के विशिष्ट उद्देश्यों को पृथक-पृथक निर्धारित किया जाता है। इन विशिष्ट उद्देश्यों को छात्रों में अपेक्षित व्यवहारगत परिवर्तनों के रूप में व्यक्त कर दिया जाता है।
(ii) हर खण्ड की विषय-वस्तु अथवा शिक्षण-बिन्दुओं का निर्धारण- इसमें हर खण्ड अथवा उप-इकाई की विषय-वस्तु या शिक्षण-बिन्दुओं का निर्धारण कर दिया जाता
(iii) शिक्षण-अधिगम प्रक्रिया का निर्धारण– इसके अन्तर्गत हर खण्ड अथवा उप-इकाई से संबंधित अध्यापक की क्रियाओं, छात्रों की क्रियाओं, शिक्षण पद्धतियों तथा रीतियों, प्रयोग में लायी जाने वाली सहायक सामग्री आदि का निर्धारण कर दिया जाता है।
इकाई-प्रस्तावना की तैयारी- इस सोपान के अन्तर्गत सम्पूर्ण इकाई की प्रस्तावना को तैयार किया जाता है तथा उसे इकाई-योजना के अन्तर्गत इकाई के सामान्य उद्देश्यों के पश्चात लिखा जाता है।
प्रगति का मूल्यांकन- यह सोपान छात्रों में हुए अपेक्षित व्यवहारगत परिवर्तनों का पता लगाने अथवा छात्रों की प्रगति का मूल्यांकन करने से संबंधित है। यह मूल्यांकन विविध तरह के प्रश्नों के माध्यम से किया जा सकता है ।