Hindi, asked by XxitsamolxX, 14 days ago

इक टूटी-सी ज़िंदगी को समेटने की चाहत थी,
न खबर थी उन टुकड़ों को ही बिखेर बैठेंगे हम।

फिक्र है सबको खुद को सही साबित करने की,
जैसे ये ज़िंदगी, ज़िंदगी नहीं, कोई इल्जाम है।༻꧂✎​

Answers

Answered by arvindbhutani85
0

Answer:

don't worry I don't no the answer ,.

Answered by bhagwanpatil9922
0

Explanation:

I don't understand this question you should explain this question well

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