Importance of eye donation essay in hindi
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hey!!
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भारत मे करीब 1.25 करोड लोग दॄष्टिहीन है, जिसमे से करीब 30 लाख व्यक्ति नेत्ररोपण द्वारा दॄष्टि पा सकते हैं। सारे दॄष्टिहीन नेत्ररोपण द्वारा दॄष्टि नहीं पा सकते क्योंकि इसके लिये पुतलियों के अलावा नेत्र सबंधित तंतुओं का स्वस्थ होना जरुरी है। पुतलियां तभी किसी दॄष्टिहीन को लगायी जा सकती है जबकि कोई इन्हे दान में दे। नेत्रदान केवल मॄत्यु के बाद ही किया जा सकता है।
देश की इतनी अधिक जनसंख्या को देखते हुए 30 लाख नेत्रदान हो पाना आसान लगता हो परन्तु ऎसा नही है। तथ्य कुछ अलगही है, आइए इन्हे जानने की कोशिश कीजिये -
प्रति वर्ष 80 लाख मॄतको में सिर्फ़ 15 हज़ार ही नेत्रदान हो पाते हैं। क्या यह शोचनीय नही है? इससे भी अधिक दुर्भाग्यपूर्ण और शर्मिन्दा करने वाला तथ्य यह है कि बडी मात्रा में दान किये हुए नेत्र श्रीलंका से आते है। यह छोटासा देश, न सिर्फ़ हमें बल्कि अन्य देशों को भी दान में मिले नेत्र प्रदान करता है।
क्या यह करोडो भारतियों के लिए शर्म की बात नहीं है? जब कि हम अलग अलग क्षेत्रों में स्वावलम्बन प्राप्त कर चुके है या स्वावलम्बन प्राप्त करने का प्रयास कर रहे है तब क्यों न नेत्रदान के क्षेत्र में भी स्वावलम्बन प्राप्त् करें ?
कार्नियल प्रति रोपण के माध्यम से कार्नियल ब्लाइंड व्यक्ति को दॄष्टि दे पाना पिछले 40-50 वर्षों से वैज्ञानिक तकनीकी द्वारा संभव होने के बावजूद हम उसके उपयोग में पीछे क्यौं हैं ? आइये हम न सिर्फ़ नेत्रदान करें बल्कि उसका प्रचार भी करें और दुसरों को नेत्रदान के लिये प्रेरित करें।
नेत्रदान बहुत आसान है, रक्तदान से भी आसान ! नेत्रदान से जुडे कुछ तथ्य निम्न प्रकार हैं------
1. नेत्रदान के लिये उम्र एवं धर्म का कोई बन्धन नही हैं।चश्मा पहननेवाले या जिनका मोतीयाबिंद का आपरेशन हो चुका हो ऐसे व्यक्ति भी नेत्रदान कर सकते हैं।
2. केवल वही व्यक्ति जो एड्स, पीलिया या पुतलियों संबधीं रोगो से पीडित हो वह नेत्रदान नही कर सकते। परंतु इन सबका फ़ैसला नेत्र विशेषज्ञ द्वारा ही लिया जाना चाहिये क्यौंकि ऎसे नेत्र अनुसंधान के काम में आ सकते हैं।
3. किसी दुर्घटना में यदि पुतलियां ठीक हो तो मुंबई जैसे शहर में कारोनर या पुलिस की अनुमति से नेत्रदान जरुर किया जा सकता है।
4. नेत्रदान मॄत्यु के बाद 3 या 4 घंटे के अन्दर होना चाहिए। असाधारण परिस्थिति में 6 घंटे तक नेत्रदान हो सकता है।
5. नेत्रदान में समय सीमा का बहुत महत्व है, अतः नेत्रदान की इच्छा अपनी वसीयत में ना लिखे क्यौंकि वसीयत अक्सर मॄत्यु के कई दिनों या महिनों बाद भी खोली जाती है।
6. नेत्रदान की इच्छा व्यक्त करने का बेहतर तरीका यह है कि अपने घर के करीबी नेत्र बैंक का शपथ पत्र भरें। रिश्तेदार एंव मित्र, जिन्होनें आपके शपथ पत्र पर साक्षीदार के रूप में हस्ताक्षर किये हों, आपकी भावना समझ सकते हैं। इसके लिये आप अपने रिश्तेदार,मित्रों एंव पडोसियों से अपनी इच्छा की चर्चा कर सकते हैं। इससे आपकी इच्छा पूरी होने की संभावना बढ़ जाती है एंव सामाजिक जागरुकता भी आती है।
7. शपथ पत्र भरने के बाद आपको एक कार्ड भी दिया जायेगा जिसमें आपका रजिस्ट्रेशन क्रमांक अंकित होगा। इस कार्ड को आप सदा अपने साथ रखें। यात्रा के समय भी!
8. नेत्रदान के लिये यह जरूरी नही है कि मॄतक ने ही कोई इच्छा की हो या शपथ पत्र दिया हो । संबधियों की इच्छा पर भी नेत्र बैंक के विशेषज्ञ को बुलाकर नेत्रदान किया जा सकता है।
9. नेत्र बैंक के टेलिफोन नं. अपने घर एंव ओफिस में रखें, दीवारों पर प्रदर्शित करें।
10. मृत्यु के पश्चात् तुरंत ही नेत्र बैंक को सूचित करना अत्यावश्यक है। इसे कोई भी रिश्तेदार, मित्र या पडोसी सूचित कर सकते है एंव इसके लिये उसी नेत्र बैंक को सूचित करना जरूरी नही है जिसका शपथपत्र मॄतक ने भरा हो। समय की आवश्यकता के कारण सबसे करीबी नेत्र बैंक को सूचित करें।
11. आप से अनुरोध है कि उपरोक्त बातों को याद रखें। साथ ही सभी को नेत्र दान के लिये प्रेरित करें।
12. मॄतक का मृत्यु प्रमाण पत्र तैयार रखें और प्रमाण पत्र देने वाले डाक्टर को 10 सीसी ब्लड सैंपल लेने के लिये सूचित करें।
13. मॄतक की आंखों में आई ड्राप्स डालें। मॄतक की पल्कों को बन्द कर दे एंव उनके उपर भीगी रूई या कपडा रख दें।
14. कमरें में पंखे बन्द कर दें। यदि एअर कंडिशनर हो तो उसे चालू रखें। भारी लाईट ना रखें।
hope help u!!
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भारत मे करीब 1.25 करोड लोग दॄष्टिहीन है, जिसमे से करीब 30 लाख व्यक्ति नेत्ररोपण द्वारा दॄष्टि पा सकते हैं। सारे दॄष्टिहीन नेत्ररोपण द्वारा दॄष्टि नहीं पा सकते क्योंकि इसके लिये पुतलियों के अलावा नेत्र सबंधित तंतुओं का स्वस्थ होना जरुरी है। पुतलियां तभी किसी दॄष्टिहीन को लगायी जा सकती है जबकि कोई इन्हे दान में दे। नेत्रदान केवल मॄत्यु के बाद ही किया जा सकता है।
देश की इतनी अधिक जनसंख्या को देखते हुए 30 लाख नेत्रदान हो पाना आसान लगता हो परन्तु ऎसा नही है। तथ्य कुछ अलगही है, आइए इन्हे जानने की कोशिश कीजिये -
प्रति वर्ष 80 लाख मॄतको में सिर्फ़ 15 हज़ार ही नेत्रदान हो पाते हैं। क्या यह शोचनीय नही है? इससे भी अधिक दुर्भाग्यपूर्ण और शर्मिन्दा करने वाला तथ्य यह है कि बडी मात्रा में दान किये हुए नेत्र श्रीलंका से आते है। यह छोटासा देश, न सिर्फ़ हमें बल्कि अन्य देशों को भी दान में मिले नेत्र प्रदान करता है।
क्या यह करोडो भारतियों के लिए शर्म की बात नहीं है? जब कि हम अलग अलग क्षेत्रों में स्वावलम्बन प्राप्त कर चुके है या स्वावलम्बन प्राप्त करने का प्रयास कर रहे है तब क्यों न नेत्रदान के क्षेत्र में भी स्वावलम्बन प्राप्त् करें ?
कार्नियल प्रति रोपण के माध्यम से कार्नियल ब्लाइंड व्यक्ति को दॄष्टि दे पाना पिछले 40-50 वर्षों से वैज्ञानिक तकनीकी द्वारा संभव होने के बावजूद हम उसके उपयोग में पीछे क्यौं हैं ? आइये हम न सिर्फ़ नेत्रदान करें बल्कि उसका प्रचार भी करें और दुसरों को नेत्रदान के लिये प्रेरित करें।
नेत्रदान बहुत आसान है, रक्तदान से भी आसान ! नेत्रदान से जुडे कुछ तथ्य निम्न प्रकार हैं------
1. नेत्रदान के लिये उम्र एवं धर्म का कोई बन्धन नही हैं।चश्मा पहननेवाले या जिनका मोतीयाबिंद का आपरेशन हो चुका हो ऐसे व्यक्ति भी नेत्रदान कर सकते हैं।
2. केवल वही व्यक्ति जो एड्स, पीलिया या पुतलियों संबधीं रोगो से पीडित हो वह नेत्रदान नही कर सकते। परंतु इन सबका फ़ैसला नेत्र विशेषज्ञ द्वारा ही लिया जाना चाहिये क्यौंकि ऎसे नेत्र अनुसंधान के काम में आ सकते हैं।
3. किसी दुर्घटना में यदि पुतलियां ठीक हो तो मुंबई जैसे शहर में कारोनर या पुलिस की अनुमति से नेत्रदान जरुर किया जा सकता है।
4. नेत्रदान मॄत्यु के बाद 3 या 4 घंटे के अन्दर होना चाहिए। असाधारण परिस्थिति में 6 घंटे तक नेत्रदान हो सकता है।
5. नेत्रदान में समय सीमा का बहुत महत्व है, अतः नेत्रदान की इच्छा अपनी वसीयत में ना लिखे क्यौंकि वसीयत अक्सर मॄत्यु के कई दिनों या महिनों बाद भी खोली जाती है।
6. नेत्रदान की इच्छा व्यक्त करने का बेहतर तरीका यह है कि अपने घर के करीबी नेत्र बैंक का शपथ पत्र भरें। रिश्तेदार एंव मित्र, जिन्होनें आपके शपथ पत्र पर साक्षीदार के रूप में हस्ताक्षर किये हों, आपकी भावना समझ सकते हैं। इसके लिये आप अपने रिश्तेदार,मित्रों एंव पडोसियों से अपनी इच्छा की चर्चा कर सकते हैं। इससे आपकी इच्छा पूरी होने की संभावना बढ़ जाती है एंव सामाजिक जागरुकता भी आती है।
7. शपथ पत्र भरने के बाद आपको एक कार्ड भी दिया जायेगा जिसमें आपका रजिस्ट्रेशन क्रमांक अंकित होगा। इस कार्ड को आप सदा अपने साथ रखें। यात्रा के समय भी!
8. नेत्रदान के लिये यह जरूरी नही है कि मॄतक ने ही कोई इच्छा की हो या शपथ पत्र दिया हो । संबधियों की इच्छा पर भी नेत्र बैंक के विशेषज्ञ को बुलाकर नेत्रदान किया जा सकता है।
9. नेत्र बैंक के टेलिफोन नं. अपने घर एंव ओफिस में रखें, दीवारों पर प्रदर्शित करें।
10. मृत्यु के पश्चात् तुरंत ही नेत्र बैंक को सूचित करना अत्यावश्यक है। इसे कोई भी रिश्तेदार, मित्र या पडोसी सूचित कर सकते है एंव इसके लिये उसी नेत्र बैंक को सूचित करना जरूरी नही है जिसका शपथपत्र मॄतक ने भरा हो। समय की आवश्यकता के कारण सबसे करीबी नेत्र बैंक को सूचित करें।
11. आप से अनुरोध है कि उपरोक्त बातों को याद रखें। साथ ही सभी को नेत्र दान के लिये प्रेरित करें।
12. मॄतक का मृत्यु प्रमाण पत्र तैयार रखें और प्रमाण पत्र देने वाले डाक्टर को 10 सीसी ब्लड सैंपल लेने के लिये सूचित करें।
13. मॄतक की आंखों में आई ड्राप्स डालें। मॄतक की पल्कों को बन्द कर दे एंव उनके उपर भीगी रूई या कपडा रख दें।
14. कमरें में पंखे बन्द कर दें। यदि एअर कंडिशनर हो तो उसे चालू रखें। भारी लाईट ना रखें।
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आँख हमारे शरीर के सबसे महत्वपूर्ण जैविक अंगों में से एक है जो हमें अपने वातावरण की चीजों को देखने में मदद करती है।
लेकिन आंखें बहुत संवेदनशील अंग हैं जो अक्सर बाहरी चोटों के कारण क्षतिग्रस्त हो जाती हैं और गंभीर चोटों के मामलों में आंखों को बदलना पड़ता है।
और आंखों के प्रतिस्थापन के लिए, हमें किसी अन्य व्यक्ति से आंख की जरूरत है क्योंकि हम कृत्रिम रूप से आंखों का उत्पादन नहीं कर सकते हैं।
इस कारण से, नेत्रहीन लोगों की दृष्टि को बहाल करने के लिए नेत्र दान बहुत महत्वपूर्ण है।
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