Important points about child rights in hindi
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this is the important point
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बाल अधिकारों को चार भागों में बांटा जा सकता है 1. जीवन जीने का अधिकार:-पहला हक़ है जीने का, अच्छा खाने पीने का, लड्का हो या लडकी हो, सेहत सबकी अच्छी हो। 2. संरक्षण का अधिकार:-फिर हक़ है संरक्षण का, शोषण से है रक्षण का श्रम, व्यापार या बाल विवाह, नहीं करें बचपन तबाह। 3.सहभागिता का अधिकार:- तीसरे हक़ की बात करें, सहभागिता से उसे कहें, मुद्दे हों उनसे जुडे तो, बच्चों की भी बात सुनें। 4.विकास का अधिकार:- चौथा हक़ विकास का, जीवन में प्रकास का, शिक्षा हो गुण्वत्तायुक्त, मनोरंजक पर डर से मुक्त।
मौलिक अधिकार के रूप में शिक्षा
भारत के प्रत्येक नागरिक को प्राथमिक शिक्षा पाने का अधिकार है। इस संबंध में “प्रारंभिक (प्राथमिक व मध्य स्तर) पर शिक्षा निःशुल्क हो, प्रारंभिक शिक्षा अनिवार्य हो तथा तकनीकी व व्यावसायिक शिक्षा को सर्वसुलभ बनाया जाए एवं उच्च शिक्षा सभी की पहुँच के भीतर हो” कुछ ऐसी बुनियादी सिद्धान्त हैं जो हमारा मार्गदर्शन कर रहे हैं।
शिक्षा का उपयोग मानव व्यक्तित्व के संपूर्ण विकास, मानवीय अधिकारों और बुनियादी स्वतंत्रता के लिए किया जाना चाहिए। माता-पिता और अभिभावकों को यह पूर्वाधिकार हो कि वे अपने बच्चों को किस तरह की शिक्षा देना चाहते हैं।
सबके लिए शिक्षा
अभियान बच्चों, युवाओं व प्रौढ़ों को गुणवत्तायुक्त बुनियादी शिक्षा प्रदान करने की वैश्विक प्रतिबद्धता है। वर्ष 1990 में सभी के लिए शिक्षा के विश्व-सम्मेलन में इस अभियान को प्रारंभ किया गया था। 17 वर्षों के बाद भी कई देश इस लक्ष्य से काफी पीछे चल रहे है। सेनेगल के डकार शहर में विभिन्न देशों के प्रतिनिधियों ने पुनः सम्मेलन में भाग लिया और वर्ष 2015 तक सभी के लिए शिक्षा के लक्ष्य को हासिल करने के प्रति अपनी वचनबद्धता दोहराई। उन्होंने छह मुख्य शिक्षा लक्ष्यों की पहचान की और वर्ष 2015 तक सभी बच्चों, युवाओं और प्रौढ़ वर्ग की शिक्षण आवश्यकताओं की पूर्ति करने की बात कही। एक अग्रणी अभिकरण के रूप में यूनेस्को सभी अन्तरराष्ट्रीय पहल को सबके लिए शिक्षा के लक्ष्य को पाने की ओर प्रवृत एवं एकजुट कर रही है। सरकारें, विकास अभिकरण, नागरिक संस्थाएँ, गैर-सरकारी संस्थाएँ एवं मीडिया कुछ ऐसे सहयोगी हैं जो इस लक्ष्य को प्राप्त करने की दिशा में कार्य कर रहे हैं। सबके लिए शिक्षा लक्ष्य को प्राप्त करने का यह अभियान आठ शताब्दी विकास लक्ष्य (मिलेनियम डेवलपमेन्ट गोल, एमडीजी) विशेषकर वर्ष 2015 तक सार्वजनिक प्राथमिक शिक्षा पर एमडीजी -2 और शिक्षा में महिला-पुरुष समानता पर एमडीजी -3 को भी मदद पहुँचा रहा है।
मौलिक अधिकार के रूप में शिक्षा
भारत के प्रत्येक नागरिक को प्राथमिक शिक्षा पाने का अधिकार है। इस संबंध में “प्रारंभिक (प्राथमिक व मध्य स्तर) पर शिक्षा निःशुल्क हो, प्रारंभिक शिक्षा अनिवार्य हो तथा तकनीकी व व्यावसायिक शिक्षा को सर्वसुलभ बनाया जाए एवं उच्च शिक्षा सभी की पहुँच के भीतर हो” कुछ ऐसी बुनियादी सिद्धान्त हैं जो हमारा मार्गदर्शन कर रहे हैं।
शिक्षा का उपयोग मानव व्यक्तित्व के संपूर्ण विकास, मानवीय अधिकारों और बुनियादी स्वतंत्रता के लिए किया जाना चाहिए। माता-पिता और अभिभावकों को यह पूर्वाधिकार हो कि वे अपने बच्चों को किस तरह की शिक्षा देना चाहते हैं।
सबके लिए शिक्षा
अभियान बच्चों, युवाओं व प्रौढ़ों को गुणवत्तायुक्त बुनियादी शिक्षा प्रदान करने की वैश्विक प्रतिबद्धता है। वर्ष 1990 में सभी के लिए शिक्षा के विश्व-सम्मेलन में इस अभियान को प्रारंभ किया गया था। 17 वर्षों के बाद भी कई देश इस लक्ष्य से काफी पीछे चल रहे है। सेनेगल के डकार शहर में विभिन्न देशों के प्रतिनिधियों ने पुनः सम्मेलन में भाग लिया और वर्ष 2015 तक सभी के लिए शिक्षा के लक्ष्य को हासिल करने के प्रति अपनी वचनबद्धता दोहराई। उन्होंने छह मुख्य शिक्षा लक्ष्यों की पहचान की और वर्ष 2015 तक सभी बच्चों, युवाओं और प्रौढ़ वर्ग की शिक्षण आवश्यकताओं की पूर्ति करने की बात कही। एक अग्रणी अभिकरण के रूप में यूनेस्को सभी अन्तरराष्ट्रीय पहल को सबके लिए शिक्षा के लक्ष्य को पाने की ओर प्रवृत एवं एकजुट कर रही है। सरकारें, विकास अभिकरण, नागरिक संस्थाएँ, गैर-सरकारी संस्थाएँ एवं मीडिया कुछ ऐसे सहयोगी हैं जो इस लक्ष्य को प्राप्त करने की दिशा में कार्य कर रहे हैं। सबके लिए शिक्षा लक्ष्य को प्राप्त करने का यह अभियान आठ शताब्दी विकास लक्ष्य (मिलेनियम डेवलपमेन्ट गोल, एमडीजी) विशेषकर वर्ष 2015 तक सार्वजनिक प्राथमिक शिक्षा पर एमडीजी -2 और शिक्षा में महिला-पुरुष समानता पर एमडीजी -3 को भी मदद पहुँचा रहा है।
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