In Hindi
bhakti kaal aur uske parts with their famous poets and their creations
Answers
हिंदी साहित्य का भक्ति काल 1375 ईo से 1700 ईo तक माना जाता है। यह हिंदी साहित्य का श्रेष्ठ युग है। समस्त हिंदी साहित्य के श्रेष्ठ कवि और उत्तम रचनाएं इस युग में प्राप्त होती हैं। जिसमें, भक्ति आंदोलन का हिंदी साहित्य के विकास पर एक उल्लेखनीय प्रभाव (प्रभाव) था। यह भक्ति भगवान (ईश्वर) की ओर था।
यदि भक्तिकाल को विभाजित किया जाए तो हमारे समक्ष दो प्रमुख शाखा उभर कर सामने आते हैं जो निम्न प्रकार से हैं:-
1:-निर्गुण काव्यधारा
(अ):-ज्ञानमार्गी शाखा
(ब):-प्रेममार्गी शाखा
2:- सगुण काव्यधारा
(अ):-रामभक्ति शाखा
(ब):- कृष्णभक्ति शाखा
1:-भक्तिकालीन ज्ञानमार्गी निर्गुण शाखा:-
भक्ति की इस शाखा में केवल ज्ञान-प्रधान निराकार ब्रह्म की उपासना की प्रधानता है। इसमें प्रायः मुक्तक काव्य रचे गये। दोहा और पद आदि स्फुट छंदों का प्रयोग हुआ है। भाषा खिचड़ी एवं सधुक्कड़ी है। प्रमुख रस शांत रस है। इस काल के प्रमुख कवि व उनकी रचनाएँ निम्न हैं:-
प्रमुख कवि रचनाएँकबीरदास बीजक (साखी,सबद,रमैनी)
दादू दयाल साखी, पद
रैदास पद
गुरु नानक गुरु ग्रन्थ साहब
2:-भक्तिकालीन प्रेममार्गी निर्गुण शाखा:-
इस शाखा में प्रेम- प्रधान निराकार
ब्रह्म की उपासना का प्राधान्य था। इस काल में सूफी कवियों ने आत्मा को प्रियतम
मानकर हिन्दू प्रेम कहानियों का वर्णन किया है। हिन्दू-मुस्लिम एकता इस शाखा की
प्रमुखता है।इस काल के सभी
महाकाव्य प्रेमकथाओं पर आधारित हैं,जो शास्त्रीय कसौटी
पर खरे उतरते हैं। इस शाखा के प्रमुख कवि व उनकी रचनाएँ निम्न हैं:-
मालिक मोहम्मद जायसी पद्मावत, अखरावट, आखरी कलाम
कुतुबन मृगावती
मंझन मधुमालती
उसमान चित्रावली
3:- भक्तिकालीन सगुण रामभक्ति शाखा:-
इस काल में भगवान श्रीराम के सत्य, शील एवं सौन्दर्य प्रधान अवतार की उपासना की गयी है। इस काल में प्रबंध एवं मुक्तक दोनों प्रकार की काव्यों की रचना की गयी। इस काल में प्रमुख रूप से दोनों अवधी और ब्रजभाषा का उपयोग हुआ और कई छन्दों में रचनाएँ हुई। इस काल के काव्य में सभी रसों का समावेश हुआ, किन्तु शांत और श्रंगार प्रधान रस है। इस शाखा के प्रमुख कवि व उनकी रचनाएँ निम्न हैं:-
प्रमुख कवि रचनाएँगोस्वामी तुलसीदास रामचरितमानस,विनयपत्रिका कवितावली, गीतावली
नाभादास भक्तमाल
स्वामी अग्रदास रामध्यान मंजरी
रघुराज सिंह राम स्वयंवर
4:-भक्तिकालीन सगुण कृष्णभक्ति शाखा:-
इस शाखा के कवियों ने भगवान कृष्ण की
उपासना की है। इस शाखा में केवल मुक्तक काव्यों की रचना हुई। कृष्ण भक्ति के सभी
पद ब्रजभाषा की माधुर्य भाव से ओत-प्रोत है।इस शाखा के कवियों ने मुख्यतः 'पद' छंद में रचनाएँ
की हैं। इस काल में कवि सूरदास ने वात्सल्य रस को चरमोत्कर्ष पर पहुँचाया।
इस शाखा के प्रमुख कवि व उनकी रचनाएँ निम्न हैं:-
सूरदास सूरसागर, सूरसारावली, साहित्य लहरी
नंददास पंचाध्यायी
कृष्णदास भ्रमर-गीत, प्रेमतत्त्व
कुम्भनदास पद
परमानन्ददास ध्रवचरित, दानलीला
चतुर्भुजदास भक्तिप्रताप, द्वादश-यश
नरोत्तमदास सुदामा चरित
रहीम दोहावली, सतसई
रसखान प्रेमवाटिका
मीरा नरसी का माहरा, गीत गोविन्द की टीका, पद
भक्तिकाल की प्रमुख विशेषताएँ:-
1. सगुण तथा निर्गुण ब्रह्म की उपासना।
2. गुरु की महिमा
3. ईश्वर के नाम की महिमा।
4. ब्रजभाषा एवं अवधी भाषा का प्रयोग।
5. समर्पण की भावना।
6. दीनता की अभिव्यक्ति।
7. बाह्याडम्बरों का विरोध।
8. मानवतावादी धर्म की महत्ता।
9. व्यंग्यात्मक उपालम्भ शैली का प्रयोग।
10. कविता में स्वान्तः सुखाय की भावना।
http://brainly.in/question/914058