Hindi, asked by yuvraj6b362020, 1 month ago

In hindi if we write a patra to friend so which address we have to write the address of the friend or address of our own



pls tell fast as it is urgent plssssss ​

Answers

Answered by llDashinGLoverll
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Answer:

48, साउथ रोड,

48, साउथ रोड,इलाहाबाद

48, साउथ रोड,इलाहाबाददिनांक : 18.09.2015

48, साउथ रोड,इलाहाबाददिनांक : 18.09.2015प्रिय मित्र शुभम्,

48, साउथ रोड,इलाहाबाददिनांक : 18.09.2015प्रिय मित्र शुभम्,सप्रेम नमस्ते ।

48, साउथ रोड,इलाहाबाददिनांक : 18.09.2015प्रिय मित्र शुभम्,सप्रेम नमस्ते ।मुझे तुम्हारा पत्र कल ही प्राप्त हुआ । पत्र के माध्यम से तुम्हारी निराशा स्पष्ट झलक रही थी । यह बिल्कुल ठीक नहीं है । तुम्हारे पिताजी यदि किसी कारणवश तुम्हें आगे नहीं पढ़ा पा रहे हैं तो उसमें हताश अथवा निराश होने जैसी कोई बात नहीं है । इस अवसर पर तुम्हें स्वावलंबी बनने की आवश्यकता है । प्रत्येक व्यक्ति को कभी न कभी अपने पैरों पर खड़ा होना ही पड़ता है ।

48, साउथ रोड,इलाहाबाददिनांक : 18.09.2015प्रिय मित्र शुभम्,सप्रेम नमस्ते ।मुझे तुम्हारा पत्र कल ही प्राप्त हुआ । पत्र के माध्यम से तुम्हारी निराशा स्पष्ट झलक रही थी । यह बिल्कुल ठीक नहीं है । तुम्हारे पिताजी यदि किसी कारणवश तुम्हें आगे नहीं पढ़ा पा रहे हैं तो उसमें हताश अथवा निराश होने जैसी कोई बात नहीं है । इस अवसर पर तुम्हें स्वावलंबी बनने की आवश्यकता है । प्रत्येक व्यक्ति को कभी न कभी अपने पैरों पर खड़ा होना ही पड़ता है ।मुझे पूर्ण आशा है कि तुम अपना समय खोए बिना अपनी समस्या का हल स्वयं ढूँढ लोगे । स्वावलंबन में ही वास्तविक सुख है और यह तुम्हारे लिए एक अच्छा अवसर है । तुम अभी अस्थाई रूप से पार्ट टाइम नौकरी अथवा ट्‌यूशन आदि विकल्पों को अपनाकर आवश्यकताओं की पूर्ति कर सकते हो ।

48, साउथ रोड,इलाहाबाददिनांक : 18.09.2015प्रिय मित्र शुभम्,सप्रेम नमस्ते ।मुझे तुम्हारा पत्र कल ही प्राप्त हुआ । पत्र के माध्यम से तुम्हारी निराशा स्पष्ट झलक रही थी । यह बिल्कुल ठीक नहीं है । तुम्हारे पिताजी यदि किसी कारणवश तुम्हें आगे नहीं पढ़ा पा रहे हैं तो उसमें हताश अथवा निराश होने जैसी कोई बात नहीं है । इस अवसर पर तुम्हें स्वावलंबी बनने की आवश्यकता है । प्रत्येक व्यक्ति को कभी न कभी अपने पैरों पर खड़ा होना ही पड़ता है ।मुझे पूर्ण आशा है कि तुम अपना समय खोए बिना अपनी समस्या का हल स्वयं ढूँढ लोगे । स्वावलंबन में ही वास्तविक सुख है और यह तुम्हारे लिए एक अच्छा अवसर है । तुम अभी अस्थाई रूप से पार्ट टाइम नौकरी अथवा ट्‌यूशन आदि विकल्पों को अपनाकर आवश्यकताओं की पूर्ति कर सकते हो ।अत: भाग्य अथवा किसी व्यक्ति विशेष को दोषी ठहराने के बजाय स्वयं अपनी सहायता करने का प्रयास करो । यह सत्य है कि ईश्वर भी उन्हीं की सहायता करता है जो अपनी सहायता स्वयं करते हैं ।

48, साउथ रोड,इलाहाबाददिनांक : 18.09.2015प्रिय मित्र शुभम्,सप्रेम नमस्ते ।मुझे तुम्हारा पत्र कल ही प्राप्त हुआ । पत्र के माध्यम से तुम्हारी निराशा स्पष्ट झलक रही थी । यह बिल्कुल ठीक नहीं है । तुम्हारे पिताजी यदि किसी कारणवश तुम्हें आगे नहीं पढ़ा पा रहे हैं तो उसमें हताश अथवा निराश होने जैसी कोई बात नहीं है । इस अवसर पर तुम्हें स्वावलंबी बनने की आवश्यकता है । प्रत्येक व्यक्ति को कभी न कभी अपने पैरों पर खड़ा होना ही पड़ता है ।मुझे पूर्ण आशा है कि तुम अपना समय खोए बिना अपनी समस्या का हल स्वयं ढूँढ लोगे । स्वावलंबन में ही वास्तविक सुख है और यह तुम्हारे लिए एक अच्छा अवसर है । तुम अभी अस्थाई रूप से पार्ट टाइम नौकरी अथवा ट्‌यूशन आदि विकल्पों को अपनाकर आवश्यकताओं की पूर्ति कर सकते हो ।अत: भाग्य अथवा किसी व्यक्ति विशेष को दोषी ठहराने के बजाय स्वयं अपनी सहायता करने का प्रयास करो । यह सत्य है कि ईश्वर भी उन्हीं की सहायता करता है जो अपनी सहायता स्वयं करते हैं ।अपने माता-पिता को मेरा सादर प्रणाम कहना ।

48, साउथ रोड,इलाहाबाददिनांक : 18.09.2015प्रिय मित्र शुभम्,सप्रेम नमस्ते ।मुझे तुम्हारा पत्र कल ही प्राप्त हुआ । पत्र के माध्यम से तुम्हारी निराशा स्पष्ट झलक रही थी । यह बिल्कुल ठीक नहीं है । तुम्हारे पिताजी यदि किसी कारणवश तुम्हें आगे नहीं पढ़ा पा रहे हैं तो उसमें हताश अथवा निराश होने जैसी कोई बात नहीं है । इस अवसर पर तुम्हें स्वावलंबी बनने की आवश्यकता है । प्रत्येक व्यक्ति को कभी न कभी अपने पैरों पर खड़ा होना ही पड़ता है ।मुझे पूर्ण आशा है कि तुम अपना समय खोए बिना अपनी समस्या का हल स्वयं ढूँढ लोगे । स्वावलंबन में ही वास्तविक सुख है और यह तुम्हारे लिए एक अच्छा अवसर है । तुम अभी अस्थाई रूप से पार्ट टाइम नौकरी अथवा ट्‌यूशन आदि विकल्पों को अपनाकर आवश्यकताओं की पूर्ति कर सकते हो ।अत: भाग्य अथवा किसी व्यक्ति विशेष को दोषी ठहराने के बजाय स्वयं अपनी सहायता करने का प्रयास करो । यह सत्य है कि ईश्वर भी उन्हीं की सहायता करता है जो अपनी सहायता स्वयं करते हैं ।अपने माता-पिता को मेरा सादर प्रणाम कहना ।तुम्हारा मित्र

48, साउथ रोड,इलाहाबाददिनांक : 18.09.2015प्रिय मित्र शुभम्,सप्रेम नमस्ते ।मुझे तुम्हारा पत्र कल ही प्राप्त हुआ । पत्र के माध्यम से तुम्हारी निराशा स्पष्ट झलक रही थी । यह बिल्कुल ठीक नहीं है । तुम्हारे पिताजी यदि किसी कारणवश तुम्हें आगे नहीं पढ़ा पा रहे हैं तो उसमें हताश अथवा निराश होने जैसी कोई बात नहीं है । इस अवसर पर तुम्हें स्वावलंबी बनने की आवश्यकता है । प्रत्येक व्यक्ति को कभी न कभी अपने पैरों पर खड़ा होना ही पड़ता है ।मुझे पूर्ण आशा है कि तुम अपना समय खोए बिना अपनी समस्या का हल स्वयं ढूँढ लोगे । स्वावलंबन में ही वास्तविक सुख है और यह तुम्हारे लिए एक अच्छा अवसर है । तुम अभी अस्थाई रूप से पार्ट टाइम नौकरी अथवा ट्‌यूशन आदि विकल्पों को अपनाकर आवश्यकताओं की पूर्ति कर सकते हो ।अत: भाग्य अथवा किसी व्यक्ति विशेष को दोषी ठहराने के बजाय स्वयं अपनी सहायता करने का प्रयास करो । यह सत्य है कि ईश्वर भी उन्हीं की सहायता करता है जो अपनी सहायता स्वयं करते हैं ।अपने माता-पिता को मेरा सादर प्रणाम कहना ।तुम्हारा मित्रअंकित

Answered by mrnickname50
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Hope it is helpful !!

Answer:

An informal letter adds a personal touch to one's thoughts and ideas. This type of letter is very spontaneous in manner. An informal letter format is used when you write a chatty or newsy letter to a friend or relative. The tone of an informal letter is friendly and full of feelings. Therefore, these letters are also called social letters.

An informal letter is a letter written to your friends or family members You can even use contractions like you're, she's, or he's. All letters have to start with an informal salutation such as Dear _____. An informal letter should end on an affectionate note such as yours lovingly, yours truly, or yours affectionately.

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