in hindi nibhand on delhi metro
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दिल्ली मेट्रो रेल पर निबंध
प्रदूषण द्वारा जान लेवा दुर्घटनाएं और यातायात जाम की स्थिति से बचने के लिए सरकार ने राजधानी दिल्ली में मेट्रो रेल चलाने का कार्य शुरु किया है ।
विश्व में अब तक जापान, कोरिया, हांगकांग सिंगापुर, जर्मनी तथा फ्रांस मे मेट्रो रेल परिचालित है । मेट्रो रेल को लेकर किये गये एक अध्ययन में पता चला है वर्तमान में राजधानी की सड़कों पर छोड़ने वाले वाहनों की संख्या पैंतीस लाख है । वाहनों की यह संख्या देश के तीन महानगरों कोलकाता, मुम्बई व चेन्नई के कुल वाहनों से कहीं अधिक है ।
राजधानी की मुख्य सड़कों पर वाहनों की औसत गति पन्द्रह किलोमोटर प्रति धटा हे । इस रफ्तार को बढाने और यातायात जाम की स्थिति से निपटने तथा सड़क हादसों में मेट्रो रेल काफी सहायक सिद्ध हो सकती है । 1991 की जनगणना के अनुसार दिल्ली की जनसंख्या 94 लाख थी! दस वर्षों बाद अर्थात् वर्ष 2001 में यह संख्या बढ़कर एक करोड़ सैतीस लाख के करीब पहुंच गयी । इस प्रकार दस वर्षों मे 43 लाख लोग राजधानी में अन्य राज्यो से आये । इसी तरह वाहनों की सख्या मे भी दस प्रतिशत की हर वर्ष बढोत्तरी हो रही है ।
जिसके कारण राजधानीवासियों को अच्छी परिवहन सुविधा उपलब्ध नहीं हो रही है । दिल्ली में मेट्रो रेल शुरू करने की मुख्य वजह यही है । सरकार की ओर से नई रेल लाइनें बिछाकर दिल्ली के लोगों की यातायात समस्या कम करने का प्रयास किया गया । लेकिन मात्र एक प्रतिशत लोग ही इनका उपयोग कर रहे हैं ।
दिल्ली मेट्रो रेल कारपोरेशन ने राजधानी में पहले चरण के तहत मेट्रो रेल की शाहदरा तीस हजारी खण्ड सेवा शुरू हो गई है । इसका उद्घाटन प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपेयी ने 24 दिसम्बर, 2002 को किया । मेट्रो रेल अत्याधुनिक संचार व नियंत्रण प्रणाली से सुसज्जित है ।
इसके कोच अत्याधुनिक तकनीक तथा वातानुकूलित हैं । टिकट वितरण प्रणाली भी स्वचालित है । यह प्रणाली देश में पहली बार शुरू की गई है । स्टेशन में प्रवेश और निकासी की सुविधा भी एकदम आधुनिक है । यात्रियों की सुविधा के लिए मेट्रो स्टेशन परिसर पर एस्केलेटर संस्थापित किये गये हैं ।
मेट्रो यात्रियों को अन्य परिवहन साधन की सेवा लेने में दिक्कत न हो इसके लिए मेट्रो स्टेशनों को बस रूट से जोड़ा गया है । दूसरे चरण के तहत दिल्ली विश्वविद्यालय से न्यू आजादपुर, संजय गांधी ट्रांसपोर्ट नगर (8.6 किमी.) केन्द्रीय सचिवालय, बसन्त कुंज (18.2 किमी.) और बाराखम्बा रोड-इन्द्रप्रस्थ-नोएडा (15.3 किमी.) परियोजना अनुमोदित है । इसे पूरा करने का लक्ष्य वर्ष 2010 तक रखा गया है ।
शाहदरा तीस हजारी (8.3 किमी.) पर मेट्रो रेल सेवा शुरू होने के बाद अब तीस हजारी से त्रिनगर के मध्य करीब 4.5 किमी. लम्बाई वाले रूट पर निर्माण कार्य जोर-शोर से जारी है । यह पूरा हो जाने पर फिर इसे यहां से (त्रिनगर) से रिठाला के बीच करीब 8.5 किमी. मार्ग का निर्माण कार्य भी चल रहा है ।
इसके अलावा बाराखम्बा रोड से त्रिनगर (7.16 किमी.) कीर्ति नगर से द्वारिका (16 किमी.) का कार्य भी अभी शुरू किया जाना है । इसमें विकलागों के लिए विशेष सुविधा है । भीड़-भाड़ भरी सड़को, धुएं धूल-मिट्टी से बचकर लोग इस वातानुकूलित ट्रेन से सफर कर यात्रा का आनन्द उठा रहे हैं । इसकी किराया दर भी अन्य परिवहन साधनों की अपेक्षा कम रखी गई है ।
मेट्रो रेल के दरवाजे स्वचालित हे । इसमें यात्री द्वारा अपने सामान ले जाने की अधिकतम सुविधा पन्द्रह किग्रा. है । इसके अलावा यदि यात्री चाहे तो मासिक पास भी बनवा सकता है । मेट्रो रेल के कोच कोरिया से आयात किया गया है । मेट्रो रेल के तकनीकी कर्मचारी तकनीकी रूप से सक्षम होने के साथ-साथ विदेशों से भी प्रशिक्षण प्राप्त करके आये हैं ।
दिल्ली मेट्रो रेल कारपोरेशन द्वारा एक प्रशिक्षण स्कूल की स्थापना भी की गई है । इसमें ड्राइवरों और परिचालनों संबंधी समय-समय पर कर्मचारियों को प्रशिक्षण दिया जाता है । तीस हजारी शाहदरा खण्ड को छोड़कर अन्य कई रूटों पर निर्माणधीन मेट्रो परियोजना ऊपरी सतह के साथ-साथ भूमिगत भी होगी ।
राजधानी में बढ़ती जनसंख्या और उस अनुपात में यातायात के साधनों के सुलभ न होने से राजधानीवासियों के सम्मुख यातायात सेवाओ की समस्या थी । राजधानी में बढती आबादी और यातायात प्रणाली पर पडने वाले बोझ को देखते हुए योजनाकारों ने 1950 के दशक में ही इस दिशा में सोचना शुरू कर दिया था ।