in Indian democracy the prime minister work like an axis. he should not be autocratic and become dictator for this which methods are precised?
answer should be according to 6 marks
Answers
Explanation:
समवाय या कंपनी (Company), व्यापारिक संगठन का एक रूप है। संयुक्त राज्य अमेरिका में कंपनी एक निगम होता है- जिसका आशय एक संघ, संगठन, भागीदारी से हो सकता है और ये एक औद्योगिक उद्देश्य से जुड़ी होनी चाहिये।
'कम्पनी' शब्द लैटिन भाषा से लिया गया है जिसका अर्थ 'साथ-साथ' है। प्रारम्भ में कम्पनी, ऐसे व्यक्तियों के संघ को कहा जाता था जो अपना खाना साथ-साथ खाते थे। इस खाने पर व्यवसाय की बातें भी होती थी। आजकल कम्पनियों का आशय ऐसे संघ से हो गया जिसमें संयुक्त पूंजी होती है।
कम्पनी का आशय कम्पनी अधिनियम के अधीन निर्मित एक 'कृत्रिम व्यक्ति' से है, जिसका अपने सदस्यों से पृथक अस्तित्व एवं अविच्छिन्न उत्तराधिकार होता है। साधारणतः ऐसी कम्पनी का निर्माण किसी विशेष उद्देश्य की प्राप्ति के लिए होता है और जिसकी एक सार्वमुद्रा (common seal) होती है।
गौरव श्याम शुक्ल के अनुसार,
कंपनी व्यक्ति व्यक्तियों का एक ऐच्छिक संगठन है तथा यह विधान द्वारा निर्मित की जाती है। इसका स्वयं का प्रबंध संचालक मंडल, पूंजी व स्वयं की सार्वमुद्रा होती है। कंपनी अधिनियम 2013 के अनुसार कंपनियां दो प्रकार की होती हैं- प्राइवेट कंपनी व सरकारी कंपनी। प्राइवेट कंपनी के लिए सदस्यों की संख्या कम से कम दो और अधिकतम 200 तक सीमित है तथा सरकारी कंपनी के लिए कम से कम दो और अधिकतम कितनी भी हो सकती है।
समवाय या कंपनी (Company), व्यापारिक संगठन का एक रूप है। संयुक्त राज्य अमेरिका में कंपनी एक निगम होता है- जिसका आशय एक संघ, संगठन, भागीदारी से हो सकता है और ये एक औद्योगिक उद्देश्य से जुड़ी होनी चाहिये।
'कम्पनी' शब्द लैटिन भाषा से लिया गया है जिसका अर्थ 'साथ-साथ' है। प्रारम्भ में कम्पनी, ऐसे व्यक्तियों के संघ को कहा जाता था जो अपना खाना साथ-साथ खाते थे। इस खाने पर व्यवसाय की बातें भी होती थी। आजकल कम्पनियों का आशय ऐसे संघ से हो गया जिसमें संयुक्त पूंजी होती है।
कम्पनी का आशय कम्पनी अधिनियम के अधीन निर्मित एक 'कृत्रिम व्यक्ति' से है, जिसका अपने सदस्यों से पृथक अस्तित्व एवं अविच्छिन्न उत्तराधिकार होता है। साधारणतः ऐसी कम्पनी का निर्माण किसी विशेष उद्देश्य की प्राप्ति के लिए होता है और जिसकी एक सार्वमुद्रा (common seal) होती है।
गौरव श्याम शुक्ल के अनुसार,
कंपनी व्यक्ति व्यक्तियों का एक ऐच्छिक संगठन है तथा यह विधान द्वारा निर्मित की जाती है। इसका स्वयं का प्रबंध संचालक मंडल, पूंजी व स्वयं की सार्वमुद्रा होती है। कंपनी अधिनियम 2013 के अनुसार कंपनियां दो प्रकार की होती हैं- प्राइवेट कंपनी व सरकारी कंपनी। प्राइवेट कंपनी के लिए सदस्यों की संख्या कम से कम दो और अधिकतम 200 तक सीमित है तथा सरकारी कंपनी के लिए कम से कम दो और अधिकतम कितनी भी हो सकती है।