Hindi, asked by abhishek5335, 1 year ago

in sabhi may say koi ak par essay likhiy

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Answered by Adityajaiswal2005
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Aarakshan Ki Samasya Essay In Hindi



जल का महत्व

जल, मानव जाति के लिए प्रकृति के अनमोल उपहारों में से एक है। मानव शरीर में दो तिहाई मात्रा पानी की है। इससे स्पष्ट है कि जल का हमारे जीवन में कितना महत्व है। पृथ्वी के हर जीव के लिए जल की बहुत आवश्यकता होती है। पेड़-पौधों के लिए भी जल की बहुत आवश्यकता होती है। जल तरल, ठोस एवं गैस रूप में विद्यमान होता है। 


जल जीवन का सबसे आवश्यक घटक है और जीविका के लिए महत्वपूर्ण है। यह समृद्र, नदी, तालाब, पोखर, कुआं, नहर इत्यादि में पाया जाता है। हमारे दैनिक जीवन में जल का बहुत महत्व है। हमारा जीवन तो इसी पर निर्भर है। यह पाचन कार्य करने के लिए शरीर में मदद करता है और हमारे शरीर के तापमान को नियंत्रित करता है। यह हमारी धरती के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। यह हमारे जीवन की गुणवत्ता निर्धारित करने में महत्वपूर्ण घटक है और एक सार्वभौमिक विलायक है। 

जल के बिना हमारे जीवन की कल्पना करना भी कठिन है। परन्तु विडंबना है कि जल के महत्व को समझते हुए भी मनुष्य ने इसे दूषित करना प्रांरभ कर दिया है। जल-प्रदूषण और जल की बर्बादी के परिणामस्वरूप अब हमारे पीने के लिए ही शुद्ध जल उपलब्ध नहीं हो पा रहा है। जिसके दूरगामी परिणाम अच्छे नहीं हैं। यह भविष्य के लिए कदापि उचित नहीं है। जल जीवन के अमृत के रूप में जाना जाता है। इसलिए जीवन को बचाने के लिए पानी का संरक्षण अति आवश्यक है। 


आरक्षण
Aarakshan
निबंध नंबर : 01
‘आरक्षण’ शब्द और उसका अर्थ यद्दपि नया और अपरिचित नही है तो भी पिछले कुछ वर्षो से इसको लेकर समाज में जो बावेला मच रहा है , उससे तो ऐसा लगता है जैसे यह कोई नया और महत्त्वपूर्ण शब्द है | ‘आरक्षण’ का सामान्य अर्थ है – अपने या किसी के लिए, स्थान सुरक्षित करना –कराना | संविधान में इसका अभिप्राय है कि जो लोग सदियों से दलित एव पीड़ित जीवन व्यतीत कर रहे है, समाज के विभिन्न क्षेत्रो में उनके लिए स्थान सुरक्षित रखकर उन्हें प्रगति और विकास के अवसर प्रदान कराना | परन्तु आजकल ‘आरक्षण’ शब्द का व्यावहारिक व राजनीतिक अर्थ लिया जा रहा है – केवल पिछडो के नाम पर राजनीतिक खेल खेलकर  अथवा दुकानदारी करके सत्ता की कुर्सी  हथियाना | इसके लिए उन्हें चाहे जातिवाद , विमनस्थ एव वर्गसंघर्ष जैसे अनैतिक कार्यो का सहारा ही क्यों न लेना पड़े |
प्रारम्भ में तो ‘आरक्षण’ शब्द का प्रयोग केवल रेलों – बसों में यात्रा करने के लिए ‘एडवास बुकिग’ के लिए करते थे | परन्तु भारत की स्वतंत्रता के पश्चात् जीवन – क्षेत्र के कुछ सभागो में अनुसूचित जनजाति, अनुसूचित जाती आदि के लिए कुछ स्थान आरक्षित रखे जाने लगे थे | फिर कांग्रेस की एकाएक उभर कर सामने आई पीढ़ी को सत्ता भोगने का स्वाद कुछ ऐसा पड़ा कि चुनावो के समय वोट पाने के लिए उन्होंने इसका सहारा लेना प्रारम्भ कर दिया | इस ‘आरक्षण’ को स्थिरता प्रदान करने के लिए यद्दपि कांग्रेस ने ‘मण्डल कमिशन’ बैठा तो दिया परन्तु वे इसकी फाइल को खोलने का साहस नही कर सके | परन्तु यह आरक्षण-ज्वर’ अन्दर ही अन्दर बढ़ता रहा |
समय पाकर तत्कालीन प्रधान मंत्री श्री वी.पी. सिंह ने कुर्सी पर अपनी पकड़ को मजबूत बनाए रखने के लिए ‘मण्डल कमीशन’ की फाइल को सब के सामने उजागर कर दिया | यद्दपि इसके विरोध और समर्थन में जो मारा –मारी , तोड़ –फोड़ व आत्म-दाह हुए  वे भुलाए नही जा सकते | बाद में इसी ‘आरक्षण’ का सहारा लेकर कांशीराम-मायावती एण्ड पार्टी (बहुजन समाजवादी पार्टी) उभर कर आई | आजकल तो यह ‘आरक्षण’ शब्द इतना प्रचलित हो गया है कि सभी, चाहे वे मुसलमान है, सिख है, नारियाँ है या कोई और, अपना –अपना आरक्षण चाहते है | यह आग अब सभी जातियों में इतनी रस्साकस्सी हो रही है जिससे ऐसा लगता है कि आम आदमी के लिए अनारक्षित स्थान उपलब्ध ही नही होगा | विधान सभाओ तथा संसद भवन में महिलाओं के लिए 33% आरक्षण की मांग अभी भी जीवित है |
इस समस्या के समाधान पर विचार करने से इसका सबसे उत्तम उपाय लगता है कि ‘आरक्षण’ शब्द के स्थान पर ‘भारतीय’ शब्द रखकर सबको एक छत के नीचे खड़ा कर दिया जाए तथा वे अपनी योग्यता के आधार पर आगे आऐ | ऐसा करने पर ही देश का और हम स





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