in Sanskrit how to identify which karak is used in sentence.
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Karak in Sanskrit: क्रिया को जो करता है अथवा क्रिया के साथ जिसका सीधा अथवा परम्परा से सम्बन्ध होता है, वह ‘कारक’ कहा जाता है। क्रिया के साथ कारकों का साक्षात् अथवा परम्परा से सम्बन्ध किस प्रकार होता है, यह समझाने के लिए यहाँ एक वाक्य प्रस्तुत किया जा रहा है। जैसे-
“हे मनुष्याः! नरदेवस्य पुत्रः जयदेवः स्वहस्तेन कोषात् निर्धनेभ्यः ग्रामे धनं ददाति।” (हे मनुष्यो ! नरदेव का पुत्र जयदेव अपने हाथ से खजाने से निर्धनों को गाँव में धन देता है।)
यहाँ क्रिया के साथ कारकों का सम्बन्ध इस प्रकार प्रश्नोत्तर से जानना चाहिए
Karak in Sanskrit - कारक प्रकरण - Karak key Udaharan - विभक्ति, भेद, चिह्न - संस्कृत व्याकरण 1
Karak in Sanskrit - कारक प्रकरण - Karak key Udaharan - विभक्ति, भेद, चिह्न - संस्कृत व्याकरण 2
इस प्रकार यहाँ ‘जयदेव’ इस कर्ता कारक का तो क्रिया से साक्षात् सम्बन्ध है और अन्य कारकों का परम्परा से सम्बन्ध है। इसलिए ये सभी कारक कहे जाते हैं। किन्तु इसी वाक्य के ‘हे मनुष्याः’ और ‘नरदेवस्य’ इन दो पदों का ‘ददाति’ क्रिया के साथ साक्षात् अथवा परम्परा से सम्बन्ध नहीं है। इसलिए ये दो पद कारक नहीं हैं। सम्बन्ध कारक तो नहीं है परन्तु उसमें षष्ठी विभक्ति होती है।
कारकाणां संख्या – इस प्रकार कारकों की संख्या छः होती है। जैसे
कर्ता कर्म च करणं सम्प्रदानं तथैव च।
अपादानाधिकरणमित्याहः कारकाणि षट्॥
कारक के भेद
कर्त्ता कारक (प्रथमा विभक्ति) (Nominative Case)
कर्म कारक (द्वितीया विभक्ति) (Objective Case)
करण कारक (तृतीया विभक्ति)
सम्प्रदान कारक (चतुर्थी विभक्ति)
अपादान कारक (पंचमी विभक्ति)
संबंध कारक (षष्ठी विभक्ति) (Possessive Case)
अधिकरण कारक (सप्तमी विभक्ति)