"इन अभिक्रियाओं को देखिए-
(क)
(ख)
बताइए कि इन्हें निम्नलिखित ढंग से लिखना ज्यादा उचित क्यों है?
(क)
(ख)
उपरोक्त अपचयपचय अभिक्रियाओं (क) तथा (ख) के अन्वेषण की विधि सुझाइए। "
Answers
ईन अभीक्रियायों को
(क) 6CO2 (g) + 6 H2O (l) -------------> C6H12O6 (aq) + 6O (g)
(ख) O3 (g) +H2O2 (l) -------------------> H2O (l) +2O2 (g)
निम्न ढंग से लिखना ज्यादा उचित है, क्योंकि-
(क) यह अभिक्रिया प्रकाश संश्लेषण की है जो अनेक चरणों में संपन्न होती है, यह बहुत जटिल प्रक्रिया है। यह अभिक्रिया क्लोरोफिल की उपस्थिति में 12H2O2 का अपघटन कर पहले H2 तथा O2 देता है। इस तरह से HCO को अपचयित करके C6H12O6 बनाता है। इसमें 12H2O अणु भाग लेकर 6H2O उत्पन्न करता है। इसलिए इस अभिक्रिया को निम्न अभिक्रिया की भाँति लिखना ज्यादा उचित है।
(ख) अभिक्रिया (ख) को निम्न ढंग से दर्शाना ज्यादा उचित इसलिए है क्योंकि O2 का एक अणु O3 से तो दूसरा अणु H2O2 से प्राप्त होता है।
(क) 6CO2 (g) + 12 H2O (l) ------------------> C6H12O6 (aq) + 6H2O (l) + 6O2 (g)
(ख) O3 (g) + H2O2 (l) -----------------------> H2O (l) + O2 (g) + O2 (g)
उपरोक्त अपचयपचय अभिक्रियों (क) तथा (ख) की अन्वेषण ट्रेसर विधि से किया जा सकता है अभिक्रिया (क) H2O18 और अभिक्रिया (ख) में H2O18 (या O182) का प्रयोग कर अभिक्रिया के पथ को ट्रेस कर निर्धारित किया जाता है।
Answer:
'हाइड्रोजन परॉक्साइड (H2O2) एक बहुत हल्का नीला, पानी से जरा सा अधिक गाढ़ा द्रव है जो पतले घोल में रंगहीन दिखता है। इसमें आक्सीकरण के प्रबल गुण होते हैं और यह एक शक्तिशाली विरंजक है। इसका इस्तेमाल एक विसंक्रामक, रोगाणुरोधक, आक्सीकारक और रॉकेट्री में प्रणोदक के रूप में किया जाता है।[2] हाइड्रोजन परॉक्साइड की आक्सीकरण क्षमता इतनी प्रबल होती है कि इसे आक्सीजन की उच्च प्रतिक्रिया वाली जाति समझा जाता है।
हाइड्रोजन परॉक्साइड जीवों में आक्सीकरण चयापचय के उपोत्पाद के रूप में प्राकृतिक रूप से उत्पन्न होता है। लगभग सभी जीवित वस्तुओं (विशेषकर, सभी आब्लिगेटिव और फेकल्टेटिव वातापेक्षी जीव) में परॉक्सिडेज नामक एन्ज़ाइम होते हैं जो बिना हानि पहुंचाए और उत्प्रेरण द्वारा उदजन परूजारक की छोटी मात्राओं को पानी और आक्सीजन में विघटित करते हैं।