इन निर्जन स्थानों में मरे हुए आदमियों के लिए कोई परवाह नहीं करता । सरकार खुफ़िया विभाग और पुलिस पर उतना खर्च नहीं करती और वर्ता गवाह भी तो कोई नहीं मिल सकता । डकैत पहिले आदमी को मार डालते हैं . उसके बाद देखते हैं कि कुछ पैसा है कि नहीं । हथियार का कानून न रहने के कारण यह लाठी की तरह लोग पिस्तौल , बंदूक लिए फिरते हैं । डाकू यदि जान से न मारे के खुद उसे अपने प्राणों का खतरा है । गाँव में हमें मालूम हुआ कि पिछले ही साल श्रोहला के पास खन हो गया । शायद खून की हम उतनी परवाह नहीं करते , क्योकि हम भिखमंग थे और जहाँ कहीं वैसी सूरत देखते , टोपी उतार जीभ निकाल " कुची कची ( दया दया ) एक पैसा " कहते भीख माँगने लगते ।
ANSWER THE FOLLOWING:
क- सरकार खुफिया विभाग और पुलिस पर खर्च क्यों नहीं करती थी ?
ख- डाँडे थोडूला में सबसे अधिक किसका खतरा था ? क्यों ?
ग - लेखक को डकैतों से डर क्यों नहीं लग रहा था ?
घ- गद्यांश में किस कानून की चर्चा की गई है ?
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ग number is answer lakhak
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