इन पांच चीज़ों पर अनुच्छेद लिखे 1:- क्रिसमस 2:- मेरा प्रिय खेल:- क्रिकेट 3:- महात्मा गांधी 4:- लोक गीत 5:- पुस्तकालय
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क्रिसमस डे 25 दिसम्बर को मनाया जाता है इस दिन सेंटा क्लॉज बच्चोंको उपहार देने आते है और वो एक बहुत ही अच्छा गीत गाते है माना जाता है कि दिसम्बर से दिन बड़ा होना शुरू हो जाता है।
1. क्रिसमस
बच्चे क्रिसमस का बेसब्री से इंतजार करते है। वो मानते है सांता आएगा और उन लोग के लिए ढेर सारा गिफ्ट लाएगा। क्रिसमस एक बड़ा त्योहार है जिसे लोगों द्वारा ठंड के मौसम में मनाया जाता है। इस दिन। पर सभी एक सांस्कृतिक अवकाश का लुत्फ उठाते है तथा इस अवसर सभी सरकारी (स्कूल, कॉलेज, विश्वविद्यालय, शिक्षण संस्थान, प्रशिक्षण केन्द्र आदि) तथा गैर-सरकारी संस्थान बंद रहता है।
2.मेरा प्रिय खेल
हम सबको खेलना बहुत पसंद होता है। हमेशा ही हम अपने दोस्तों के साथ मिलकर अलग-अलग खेल खेलते रहते है। मैदान मे खेल खेलने से न सिर्फ हमारा मनोरंजन होता हैं, उसके साथ हमारे शरीर ही व्यायाम की जरूरतेभी पूरी होती हैं और हमारा शरीर स्वस्थ राहत हैं। संघ मे खेल खेलने से हममें अनुशासन और सद्भावनाए भी जागृत होती हैं। मैदानमें कभी हम क्रिकेट खेलते है, तो कभी कबड्डी, तो कभी खो-खो। लेकिन सभी खेलोमे मेरा पसंदीदा खेल है, क्रिकेटहर दिन क्रिकेट मेरे दोस्तोंके साथ मिलकर हमारे घर के पासवाले मैदान मे खेलता/खेलती हूँ। छुट्टीदिनोमे तो हमारा बस एक ही काम होता है क्रिकेट खेलना। क्रिकेट मैदानी खेल है लेकिन इसे खेलने मे न सिर्फ बल उसके साथ बुद्धि का भी इस्तमाल होता हैं।
3. महात्मा गांधी
अहिंसा के पुजारी 'राष्ट्रपिता' महात्मा गांधी
महात्मा गांधी का जन्म 2 अक्टूबर 1869 को गुजरात के पोरबंदर नामक स्थान पर हुआ था। इनका पूरा नाम मोहनदास करमचंद गांधी था। इनके पिता का नाम करमचंद गांधी था। मोहनदास की माता का नाम पुतलीबाई था जो करमचंद गांधी जी की चौथी पत्नी थीं। मोहनदास अपने पिता की चौथी पत्नी की अंतिम संतान थे। महात्मा गांधी को ब्रिटिश शासन के खिलाफ भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन का नेता और 'राष्ट्रपिता' माना जाता है।
गांधी जी का परिवार- गांधी की मां पुतलीबाई अत्यधिक धार्मिक थीं। उनकी दिनचर्या घर और मंदिर में बंटी हुई थी। वह नियमित रूप से उपवास रखती थीं और परिवार में किसी के बीमार पड़ने पर उसकी सेवा सुश्रुषा में दिन-रात एक कर देती थीं। मोहनदास का लालन-पालन वैष्णव मत में रमे परिवार में हुआ और उन पर कठिन नीतियों वाले जैन धर्म का गहरा प्रभाव पड़ा। जिसके मुख्य सिद्धांत, अहिंसा एवं विश्व की सभी वस्तुओं को शाश्वत मानना है। इस प्रकार, उन्होंने स्वाभाविक रूप से अहिंसा, शाकाहार, आत्मशुद्धि के लिए उपवास और विभिन्न पंथों को मानने वालों के बीच परस्पर सहिष्णुता को अपनाया।
विद्यार्थी के रूप में गांधी जी - मोहनदास एक औसत विद्यार्थी थे, हालांकि उन्होंने यदा-कदा पुरस्कार और छात्रवृत्तियां भी जीतीं। वह पढ़ाई व खेल, दोनों में ही तेज नहीं थे। बीमार पिता की सेवा करना, घरेलू कामों में मां का हाथ बंटाना और समय मिलने पर दूर तक अकेले सैर पर निकलना, उन्हें पसंद था। उन्हीं के शब्दों में - 'बड़ों की आज्ञा का पालन करना सीखा, उनमें मीनमेख निकालना नहीं।'
4.लोक गीत
मनुष्य की वास्तविक संस्कृति उसकी प्रथाओं-लोक नृत्यों, परम्पराओं, परम्परागत विश्वासों और लोक गीतों में अन्तर्निहित होती है । विश्व का कोई भी देश इसका अपवाद नहीं है ।
किसी भी वर्ग विशेष के सांस्कृतिक इतिहास का ज्ञान उसकी प्रथाओं, लोक विधाओं और गीतों को संकलित कर सहज ही लगाया जा सकता है । अपरिवर्तनीय रूप से जन-समुदायों के पास यह अमूर्त संस्कृति महान् संपदा है, जिसकी झलक उनके त्यौहारों और उत्सवों पर पाई जा सकती है ।
भारत विशाल देश होने के नाते विभिन्न बहुमूल्य लोक गीतों से भरा पड़ा है, ये गीत इस विशाल क्षेत्र पर बसे विभिन्न संप्रदायों की संस्कृति को प्रदर्शित करते हैं । भारतीय लोक गीत पौराणिक और परम्परागत कथाओं से गुंथे हुए हैं जिस कारण इनकी मान्यता सर्वव्यापक है । पीढ़ी-दर-पीढ़ी ये लोक गीत विरासत में मिलते हैं ।
ये लोक गीत खुशी, दु:खों, ऐतिहासिक घटनाओं व पौराणिक कथाओं का प्रतिनिधित्व करते हैं । हिमाचल प्रदेश के लोक गीत पंजाब और हरियाणा के लोक गीतों से सर्वथा भिन्न हैं । हीर-रांझा, शीरी-फरहाद, लैला-मजनूं की प्रेम कहानियाँ व परम्पराएँ अभी भी दूरवर्ती पंजाब के लोगों के होठों पर पाई जा सकती है । इन गीतों की संगत नृत्य व संगीतों से होती है ।
राजस्थान के लोक नृत्य अभी भी वही अनुभूति और शौर्य प्रदान कर रहे है जो मुसीबत के समय राजपूतों और उनकी स्त्रियों के द्वारा दिखाए गए थे । यहां तक कि एक निहायत डरपोक व्यक्ति भी राजस्थान के लोक गीतों को सुनने के पश्चात् अपने आप को साहसी और वीर महसुस करने लगता है ।
ऐसा व्यक्ति, जो भगवान् कृष्ण और राधा तथा गोपियों के बारे में जानने की रुचि रखता है, वह उत्तर-प्रदेश की यात्रा द्वारा खासकर ब्रजभूमि जहाँ इन लोकगीतों को समय-समय पर मुख्य रूप से होली, दीवाली, दशहरा और रक्षा बन्धन आदि त्यौहारों पर, जब इनकी छटा निराली होती है, सुना जा सकता है ।
दक्षिण की तरफ जाने पर आप दक्षिण भारतीय लोक गीतों के संपर्क में आएंगे, यदि आप इन्हें नही समझ पाते फिर भी निश्चित रूप से आप उनकी मीठी स्वर लहरी का आनन्द उठा सकते है । उड़ीसा और बिहार जैसा माधुर्य असम और नागालैंड के भीतरी हिस्सों के लोक गीतों में भी झलकता है ।
5.पुस्तकालय
जहाँ ज्ञान का भण्डार एक साथ हमें मिल जाये, जहाँ ज्ञान की बढ़ोतरी होती है, जहा हम हमारे समय का सदुपयोग करते है, उसे हम पुस्तकालय कहते है। पुस्तकालय में तरह-तरह की ज्ञानवर्धक पुस्तके पड़ने को हमे मिलती है। जिन्हें कोई भी पुस्तक प्रेमी जाकर पड़ सकता है। ... पुस्तक वो कीमती धन है, जिसमें हमे ढेरों काम की चीजें मिल जाती है।