Hindi, asked by murarisingh2998, 6 months ago

इन पतियो की व्याख्या करे आओ नए बीज हम बोये विगत युगों के बंधन खोये भारत की आत्मा का गौरव स्वर्गलोग में भी न समाता

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Answered by piyush071151
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Answer:

महर्षि व्यास जी के अनुसार सतयुग, त्रेतायुग, द्वापरयुग, कलयुग ये चार युग हैं, जो देवताओ के बारह हज़ार दिव्य वर्षो के बराबर होते हैं। समस्त चतुर्युग एक से ही होते हैं। आरम्भ सत्ययुग से होता है अंत में कलयुग होता है। किसी भी जन्म में अपनी आज़ादी से किये गये कर्मों के मुताबिक आत्मा अगला शरीर धारण करती है।

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