इनकी सहायता से चिक , शीतलपाटी आदि चीजें बनाता था।
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Answer:
सिरचन
Explanation:
सिरचन कलाकार था | वह मोथी घास लाल और पटेर की रंगीन शीतल पाटी(चटाई ) बांस की तीलियों की झिलमिलाती चिक ,सतरंगे डोरे के मोढ़े भूसी-चुन्नी रखने के लिए मूंज की रस्सी के बड़े-बड़े जाले , ताल के सूखे पत्तों की छतरी -टोपी आदि उपयोगी वस्तुएं बनाता है | ये वस्तुएं बनाकर वह अपने घर की देख रेख करता था।
ये पंक्ति फानिशेवर जी द्वारा लिखी है। कहानी का नाम है "ठेस".यहां उस ठेस की बात हो रही है जो ठेस सिरचन के हृदय को लगी थी।
एक कलाकार का हृदय बेहद कोमल होता है।यदि उसके हृदय को ठेस लगती है तो वो विचलित हो जाता है।भावुक होने के कारण उसके काम को कोई टोके उसे तनिक भी बर्दाश्त नहीं होता यही कारण है कि वह लेखक की चाची के बुरा -भला कहने पर नाराज होकर काम अधूरा छोड़ कर चला जाता है परंतु मानू से स्नेह होने के कारण नाराजगी के बावजूद वह सभी चीजे बनाता है | उसकी कारीगरी देखकर लेखक भी दंग रह जाते हैं इतना ही नहीं वह स्वयं उन चीजों को लेकर स्टेशन आता है और मानू जब मां द्वारा कही गई मोहर छाप वाली धोती का दाम सिरचन को देना चाहती है तो दोनों हाथ जोड़कर मना कर देता है
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शीतलपाटी का संबंध कहानी ठेस से है