Biology, asked by putririska6592, 10 months ago

इनमें कौन संक्रामक रोग हैं?
(क) डिप्थीरिया
(ख) रेबीज
(ग) कालाजार
(घ) इनमें सभी

Answers

Answered by ayushibhalerao
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Answer:

रेबीज एक संका्मक रोग है।

Answered by SimrenLalwani
0

Answer:

रेबीज एक संक्रामक रोग है।

Explanation:

परिचय

रेबीज एक बीमारी है जो कि रेबीज नामक विषाणु से होते हैं यह मुख्य उर्प से पशुओं की बीमारी है लेकिन संक्रमित पशुओं द्वारा मनुष्यों में भी हो जाती यह विषाणु संक्रमित पशुओं के लार में रहता है उअर जब कोई पशु मनुष्य को काट लेता है यह विषाणु मनुष्य के शरीर में प्रवेश कर जाता है।यह भी बहुत मुमकिन होता है कि संक्रमित लार से किसी की आँख, मुहँ या खुले घाव से संक्रमण होता है।इस बीमारी के लक्षण मनुष्यों में कई महीनों से लेकर कई वर्षों तक में दिखाई देते हैं।लेकिन साधारणतः मनुष्यों में ये लक्षण 1 से 3 महीनों में दिखाई देते हैं।रेबीज के प्रारंभिक लक्षणों में बदल जाते हैं।जसे आलस्य में पड़ना, निद्रा आना या चिड़चिड़ापन आदि} अगर व्यक्ति में ये लक्षण प्रकट हो जाते है तो उसका जिंदा रहना मुशिकल हो जाता है।उपरोक्त बातों में ध्यान में रखकर कहा जा सकता है कि रेबीज बहुत ही महत्वपूर्ण बिमारी है और जहाँ कहीं कोई जंगली या पालतू पशु जो कि रेबीज विषाणु से संक्रमित हो के मनुष्य को काट लेने पर आपे डॉक्टर कि सलाहनुसार इलाज करवाना अत्यंत ही अनिवार्य है।

रेबीज बीमारी के मुख्य लक्षण क्या होते हैं?

रेबीज बीमारी के लक्षण संक्रमित पशुओं के काटने के बाद या कुछ दिनों में लक्षण प्रकट होने लगते हैं लेकिन अधिकतर मामलों में रोग के लक्षण प्रकट होने में कई दिनों से लेकर कई वर्षों तक लग जाते हैं।रेबीज बीमारी का एक खास लक्षण यह है कि जहाँ पर पशु काटते हैं उस जगह की मासपेशियों में सनसनाहट की भावना पैदा हो जाती है।विषाणु के रोगों के शरीर में पहुँचने के बाद विषाणु नसों द्वारा मष्तिक में पहुँच जाते हैं और निम्नलिखित लक्षण दिखाई देने लगते हैं जैसे-

दर्द होना

थकावट महसूस करना।

सिरदर्द होना।

बुखार आना।

मांसपेशियों में जकड़न होना।

घूमना-फिरना ज्यादा हो जाता है।

चिड़चिड़ा होना था उग्र स्वाभाव होना।

व्याकुल होना।

अजोबो-गरीबो विचार आना।

कमजोरी होना तथा लकवा हों।

लार व आंसुओं का बनना ज्यादा हो जाता है।

तेज रौशनी, आवाज से चिड़न होने लगते हैं।

बोलने में बड़ी तकलीफ होती है।

अचानक आक्रमण का धावा बोलना।

जब संक्रमण बहुत अधिक हो जाता है और नसों तक पहुँच जाता है तो निम्न लक्षण उत्पन्न होने लगते हैं जैसे

सभी चीजों/वस्तुएं आदि दो दिखाई देने लगती हैं।

मुंह की मांसपेशियों को घुमाने में परेशानी होने लगती है।

शरीर मध्यभाग या उदर को वक्ष:स्थल से अलग निकाली पेशी का घुमान विचित्र प्रकार का होने लगता है।

लार ज्यादा बनने लगी है और मुंह में झाग बनने लगते हैं।

क्या पशुओं से रेबीज का संकरण मनुष्यों में हो सकता है?

हाँ, बहुत सारे पशु ऐसे होते हैं जिनसे रेबीज मनुष्यों में फैल सकता है।जगंली जानवर रेबीज विषाणु को फैलाने का कार्य अधिक करते हैं जैसे- स्कडकू, चमगादड़, लोमड़ी आदि।हालांकि पालतू पशु जैसे कुत्ता, बिल्ली, गाय, भैंस और दुसरे पशु भी रेबीज को लोगों में फैलाते हैं।साधारण तौर पर देखा गया है जब रेबीज से संक्रमित कोई पशु किसी मनुष्य को काटता है तो रेबीज लोगों में फैल जाता है।बहुत से पशु जैसे कुत्ता, बिल्ली, घोड़े आदि को रेबीज का टीकाकरण किया जाता है।लेकिन अगर किसी व्यक्ति को इन पशुओं द्वारा काट लिया जाए तो चिकित्सक से परामर्श लेना जरुरी है।

पालतू पशुओं को रेबीज से बचाने उपाय

अगर आप एक जिम्मेदार पशुपालक हों तो अपने कुत्ते, बिल्लियों का टीकाकरण सही समय पर कराते रहना चाहिए।टीकाकरण केवल अपने पशुओं के लिए ही लाभदायक नहीं होता बल्कि आप भी सुरक्षित रहते हिं।अपने पालतू पशुओं के संपर्क में न सकें।अगर आपका पशु किसी जगंली पशु द्वारा काट लिया गया है तो जल्दी से जल्दी अपने पशु चिकित्सक से संपर्क कर उचित सलाह लेनी चाहिए।अगर आपको लगता है आपके आस पड़ोस में मोई रेबीज संक्रमित पशु घूम रहा है तो उसकी सुचना सरकारी अधिकारी को देनी चाहिए।ताकि उसे पकड़ा जा सके।जंगली पशुओं को देखने का नजारा दूर से ही लें।उन्हें खिलाएं नहीं, उनके शरीर पर हाथ न लगायें और उनके मल-मूत्र से दूर रहें। जंगली पशुओं को कभी भी घर में नहीं रखना चाहिए तथा बीमार पशुओं का उपचार स्वयं नहीं करें, जरूरत पड़ने पर पशु चिकित्सक से सम्पर्क करें। छोटे बच्चों को बताएं कि जंगली पशुओं से नहीं खेलें यहाँ तक कि अगत वे पशु दोस्ताना व्यवहार करें। तब भी बच्चों को समझाने का सही तरीका यह है कि केवल पशुओं को प्यार करें बल्कि सबको अलग छोड़ दें।चमगादड़ को घर में आने से रोकें, मंदिर-मजिस्द, ऑफिस-स्कुल आदि में भी जहाँ उनका सम्पर्क लोगों या पशुओं से हो।

अपने गाँव, कस्बे या शहर से बाहर जाते हैं तो खासकर कुत्तों से सावधान रहें, क्योंकि करीब 20 हजार लोग रेबीज वाले कुत्ते के काटने से हमारे देश में प्रतिवर्ष मरते हैं।

रेबीज का उपचार कैसे किया जाता है?

रेबीज को टीकाकरण द्वारा हम उपचार भी कर सकते हैं।

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