Hindi, asked by ammuclashofclans, 8 months ago

Independence Day essay in Hindi 1000 words​

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Explanation:

इस वर्ष भारत अपना 74वा स्वतंत्रता दिवस मनाएगा। १५ अगस्त १९४७ को हमारा देश ब्रिटिश शासन से पूरी तरह आज़ाद हुआ था। इस दिन को हम सभी भारतवासी बहुत ही उत्साह और गौरव के साथ मनाते हैं। आज़ादी मिलने के बाद हर वर्ष हम इस दिन को स्वतंत्रता दिवस के रूप में मनाते हैं। इस दिन सभी सरकारी कार्यालय जैसे बैंक, पोस्ट ऑफिस आदि में अवकाश होता है। इसके साथ ही सभी स्कूल और ऑफिस में तिरंगा फहराया जाता है। इस पोस्ट के माध्यम से 15 अगस्त पर निबंध प्राप्त किया जा सकता है। स्वतंत्रता दिवस पर आधारित किसी भी निबंध प्रतियोगिता में शामिल होने के लिए छात्र यहां से Independence Day Essay in Hindi प्राप्त कर सकते हैं।15 अगस्त 1947 भारत के लिए बहुत भाग्यशाली दिन था। इस दिन अंग्रजों की लगभग 200 वर्ष गुलामी के बाद हमारे देश को आज़ादी प्राप्त हुई थी। भारत को आज़ादी दिलाने के लिए कई स्वतंत्रता सेनानियों को अपनी जान गवानी पड़ी थी। स्वतंत्रता सेनानियों के कठिन संघर्ष के बाद भारत अंग्रजों की हुकूमत से आज़ाद हुआ था। तब से ले कर आज तक 15 अगस्त को हम स्वतंत्रता दिवस मानते हैं।

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अंग्रेजों का भारत आगमन

आज से तकरीबन 400 वर्षो पहले अंग्रेजों की ईस्ट इंडिया कंपनी भारत मे व्यापार करने के उद्देश्य से भारत मे आयी थी। उन दिनों पाकिस्तान और बाग्लादेश भारत का ही हिस्सा हुआ करते थे। अंग्रेज यहां अपने व्यापार के साथ-साथ लोगों की गरीबी, मजबूरी और उनकी कमजोरीयों को परखने लगे, और उनकी मजबूरियों का फायदा उठाने लगे।

अंग्रेजों ने धीरें-धीरें भारतीयों के मजबूरियों का लाभ उठाकर उनको गुलाम बनाकर उन पर अत्याचार करना शुरु कर दिया, और मुख्य रुप से ये गरीब और मजबूर लोगो को अपने कर्ज तले दबा देते थे। कर्ज न चुकाने पर वो उन्हें अपना गुलाम बनाकर उनपर मनमाना काम और अत्याचार करने लगे। एक-एक करके राज्यों और उनके राजाओं को अपने अधिन करते चले गए, और लगभग पुरे भारत पर अपना नियंत्रण कर लिए।

भारतीयों पर अत्याचार

अंग्रेजों का भारत पर कब्जा करने के दौरान वे लोगों पर मनमाना अत्याचार करने लगे, जैसे लगान वसुलना, उनके खेतों और आनाजों पर कब्जा कर लेना, इत्यादि। इसके कारण यहां के लोगों को उनका बहुत अत्याचार सहना पड़ता था। जब वे इस अत्याचार का विरोध करते थे तो उन्हे गोलियों से भुन दिया जाता था जैसे कि जलियावाला कांड हुआ।

अंग्रेजी हुकुमत के खिलाफ भारतीयों का गुस्सा

अंग्रेजों का भारतीयों के प्रति रवैया और उनका अत्याचार दिन पर दिन बढ़ता जा रहा था और भारतीयों मे उनके प्रति गुस्सा और बदले की आग भी बढ़ती जा रही थी। अंग्रेजों के इस बर्बरता पूर्ण रवैये की आग पहली बार सन् 1857 मे मंगल पांड़े के विद्रोह के रुप मे देखी गयी। मंगल पांडे के इस विद्रोह के कारण उन्हे मार दिया गया, इससे लोगों मे अंग्रेजों के प्रति गुस्सा और बढ़ता गया और नए नए आंदोलनों के रुप सामने आने लगा।

आजादी की मांग

अंग्रेजों के बढ़ते अत्याचार को लेकर लोगों मे गुस्सा और अपने आजादी की मांग सामने आने लगी। जिसके कारण कई आंदोलन और अंग्रेजी सरकार के खिलाफ झड़प की घटनाएं बढ़ती रही। आजादी की मांग सबसे पहले मंगल पांडे ने 1857 मे विरोध करके किया, और इस वजह से उन्हे अपनी जान गवानी पड़ी। धीरे-धीरे अंग्रेजों के अत्याचार से आजादी के मांग की आवाजे भारत के अन्य जगहों से भी आने लगी।

स्वतंत्रता के लिए स्वतंत्रता सेनानियों का महत्वपुर्ण योगदान

भारत को अंग्रेजों के अत्याचार से आजादी दिलाने के लिए कई स्वतंत्रता सेनानियों ने अपना बलिदान दिया है, उनमे से सबसे अतुल्य योगदान महात्मा गांधी का रहा है। भारत पर लगभग 200 वर्षो से शासन कर रहे ब्रिटिश हुकमत को गांधी जी ने सत्य और अहिंसा जैसे दो हथियारों से हारने पर मजबूर कर दिया। महात्मा गांधी ने सत्य और अहिंसा को ही अपना हथियार बनाया और लोगो को भी प्रेरित किया और लोगों को इसे अपनाकर अंग्रेजो के अत्याचार के खिलाफ लड़ने के लिए कहा। देश के लोगों ने उनका भरपूर साथ दिया और आजादी मे बढ़ चढ़ कर हिस्सा लिया। लोग उन्हे प्यार और सम्मान से बापू पुकारते थे।

कुछ अन्य स्वतंत्रता सेनानियों का आजादी मे योगदान

हालाकि स्वतंत्रता के संग्राम मे पूरे हिन्दुस्तान ने ही अपने तरीके से कुछ न कुछ अवश्य योगदान दिया, किन्तु कुछ ऐसे लोग थे जिन्होने अपने नेतृत्व, रणनीती और अपने कौशल का परिचय देते हुए आजादी मे आपना योगदान किया।

महात्मा गांधी, जवाहर लाल नेहरु, सरदार बल्लभ भाई पटेल, बाल गंगाधर तिलक जैसे कई अन्य स्वतंत्रता सेनानियों ने लोगों से साथ मिलकर अंग्रेजो के खिलाफ लड़ाई लड़ी। कुछ ने मुख्य रुप से सत्य और अहिंसा को अपनाकर अपनी लड़ाई को जारी रखा। वही दुसरी ओर कुछ ऐसे भी स्वतंत्रता सेनानी थे जिन्होने अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ हिंसा का रास्ता अपनाया, जिन्हे एक क्रांतिकरी का नाम दिया गया। ये क्रांतिकारी मुख्य रुप से किसी संस्था से जुड़कर अंग्रेजो के खिलाफ लड़ाई को लड़ते रहे। मुख्य रुप से मंगल पांड़े, चन्द्रशेखर आजाद, भगत सिहं, राजगुरु इत्यादि कई ऐसे क्रांतिकारी हुए जिन्होने अपने तरीके से स्वतंत्रता मे अपना योगदान दिया।

सभी के अडिग दृढ़ शक्ति और आजादी के प्रयासो ने अंग्रेजों की हुकुमत को हिला दिया, और 15 अगस्त सन् 1947 को अंग्रेजों को भारत छोड़ने पर मजबुर कर दिया। इस ऐतिहासिक दिन को ही हम संवतंत्रता दिवस के रुप मे मनाते है।

आजादी का जश्न

हमारे स्वतंत्रता सेनानियों और लोगों के अथक प्रयासों और बलिदान के उपरान्त, 15 अगस्त 1947 को अंगेजों के अत्याचार और गुलामी से हमें मुक्ति मिली, तब से लेकर आज तक इस ऐतिहासिक दिन को हम आजादी के पर्व के रुप मे मनाते है। आजादी के इस राष्ट्रीय पर्व को देश के कोने-कोने मे मनाया जाता है। सभी सरकारी, निजी संस्थानों, स्कुलों, आफिसों और बाजारों मे भी इसके जश्न की रौनक देखी जा सकती है। स्वतंत्रता समारोह का यह जश्न दिल्ली के लाल किले पर भारत के प्रधानमंत्री द्वारा राष्ट्रीय ध्वज तिरंगे को फहराया जाता है और कई अन्य सांसकृतिक कार्यक्रम भी आयोजित किये जाते है। इस दिन हर तरफ सभी लोग देश भक्ति के माहौल मे डूबकर जश्न मनाते है।

निष्कर्ष

15 अगस्त, एक ऐतिहासिक राष्ट्रीय दिवस के रुप मे जाना जाता है, और हम इस दिन को आजादी के दिन के रुप मे हर वर्ष मनाते है। सभी सरकारी संस्थानों, स्कूलों और बाजारों मे इसकी रौनक देखी जा सकती है, और हमारे देश के स्वतंत्रता सेनानियों को याद किया जाता है। हर जगह चारों तरफ बस देशभक्ति की आवाजे ही सुनाई देती है, हम आपस मे एक दुसरे से मिलकर आजादी की मुबारकबाद देते हैं और उनका मुह मीठा कराते है।

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