Hindi, asked by sambhav7055533590, 10 months ago

indradhanush par Kavita ​

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Answered by urja79
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Answered by poonamrzope
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Answer:

ज़िंदगी के सात रंगों को भूल,

हम जीवन को ढूँढ रहे हैं

काले-सफ़ेद रंगों के धुआँ अौर धुंध में।

भाग रहें हैं, अनजानी राहों पर ,

दुनिया के मायावी मृगतृष्णा के पीछे।

आंगन की खिली धूप, खिलते फूल,

बच्चों की किलकारी,

ऊपरवाले की हर रचना है न्यारी।

अगर कुछ ना कर सको ,

तो थमा दो ऊपर वाले को अपनी ङोर।

खुबसूरत सतरंगी इंद्रधनुषी लगेगी,

ज़िंदगी हर अोर।

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