indradhanush par Kavita
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Explanation:
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Answer:
ज़िंदगी के सात रंगों को भूल,
हम जीवन को ढूँढ रहे हैं
काले-सफ़ेद रंगों के धुआँ अौर धुंध में।
भाग रहें हैं, अनजानी राहों पर ,
दुनिया के मायावी मृगतृष्णा के पीछे।
आंगन की खिली धूप, खिलते फूल,
बच्चों की किलकारी,
ऊपरवाले की हर रचना है न्यारी।
अगर कुछ ना कर सको ,
तो थमा दो ऊपर वाले को अपनी ङोर।
खुबसूरत सतरंगी इंद्रधनुषी लगेगी,
ज़िंदगी हर अोर।