informal lettet in hindi
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Seva mai ,
mahodya
nivaden hai ki
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nformal letter in hindi (अनौपचारिक पत्रों) में ‘संबोधन’ का विशेष महत्व होता है क्योंकि पत्र पढ़ने वाला सबसे पहले इसी को पढ़ता है। इन संबोधनों के माध्यम से पत्र लेखक पाठक के प्रति अपनी भावनाओं को व्यक्त करता है। संबोधनों को देखकर ही यह अनुमान लगाया जा सकता है कि पत्र अपने से छोटे को लिखा गया है या बड़े को तथा कितना प्यार या सम्मान व्यक्त किया गया है। संबोधन के कुछ नमूने इस प्रकार हैं:
पूज्य पिता जी / माता जी / गुरु जी आदि।
आदरणीय चाचा जी / मामा जी / भाई साहब / दीदी / भाभी जी आदि।
श्रद्धेय चाचा जी / गुरुवर आदि।
प्रिय भाई /मित्र आदि।
शिष्टाचार सूचक पदबंध/अभिवादन की उक्तियाँ- शिष्टाचार या अभिवादन के वाक्य इस बात पर निर्भर करते हैं कि संबोधन किस प्रकार का है शिष्टाचार के कुछ पदबंध इस प्रकार हैं- चरणस्पर्श, प्रणाम, नमस्कार, वंदे, सस्नेह/सप्रेम नमस्ते, प्रसन्न रहो, चिरंजीवी रहो आदि।
विषयवस्तु या मूल कथ्य- शिष्टाचार सूचक शब्दों के बाद पत्र की मूल विषयवस्तु आती है। इसे पत्र का कथ्य भी कहते हैं। इसके अंतर्गत लेखक वे सभी बातें, विचार आदि व्यक्त करता है, जिन्हें वह पाठक तक संप्रेषित करना चाहता है। इसी से लेखक की अभिव्यक्ति क्षमता, भाषा, कथ्य को प्रस्तुत करने का तरीका आदि का पता चलता है।
समापन निर्देश या स्वनिर्देश- कथ्य की समाप्ति के बाद पत्र के समापन की बारी आती है। पत्र-समापन से पहले आत्मीय जनों के विषय में पूछताछ, आदर-सम्मान आदि का भाव व्यक्त किया जाता है। अंत में ‘स्वनिर्देश के अंतर्गत पत्र लेखक तथा पाठक के मध्य के संबंधों के आधार पर संबंधसूचक शब्दों का प्रयोग किया जाता है; जैसे- आपका… आपका ही… तुम्हारा अपना स्नेहाकांक्षी… आदि।
पत्र लेखक का नाम- ‘स्वनिर्देश’ के नीचे पत्र लेखक को अपना नाम लिखना चाहिए। परीक्षा भवन में पत्र लिखते समय नाम के स्थान पर ‘क०ख०ग/अ०ब०स’ आदि लिख सकते हैं।
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