Information about dr. rajendra prasad in sanskrit
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राजेन्द्र प्रसाद (3 दिसम्बर 1884 – 28 फरवरी 1963) भारत के प्रथम राष्ट्रपति थे।[1] वे भारतीय स्वाधीनता आंदोलन के प्रमुख नेताओं में से थे जिन्होंने भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के अध्यक्ष के रूप में प्रमुख भूमिका निभाई। उन्होंने भारतीय संविधान के निर्माण में भी अपना योगदान दिया था जिसकी परिणति २६ जनवरी १९५० को भारत के एक गणतंत्र के रूप में हुई थी। राष्ट्रपति होने के अतिरिक्त उन्होंने स्वाधीन भारत में केन्द्रीय मन्त्री के रूप में भी कुछ समय के लिए काम किया था। पूरे देश में अत्यन्त लोकप्रिय होने के कारण उन्हें राजेन्द्र बाबू या देशरत्न कहकर पुकारा जाता था।
राजेन्द्र प्रसाद
प्रथम भारत के राष्ट्रपति
कार्यकाल
26 जनवरी 1950 – 14 मई 1962प्रधान मंत्रीपण्डित जवाहर लाल नेहरूउपराष्ट्रपतिसर्वपल्ली राधाकृष्णनपूर्व अधिकारीस्थिति की स्थापना
चक्रवर्ती राजगोपालाचारी भारत के गवर्नर जनरल के रूप मेंउत्तराधिकारीसर्वपल्ली राधाकृष्णनजन्म3 दिसम्बर 1884
जीरादेई, बंगाल प्रेसीडेंसी, ब्रिटिश भारत(अब बिहार में)मृत्यु28 फ़रवरी 1963 (उम्र 78)
पटना, बिहार, भारतराष्ट्रीयताभारतीयराजनैतिक पार्टीभारतीय राष्ट्रीय कांग्रेसजीवन संगीराजवंशी देवी (मृत्यु १९६२)विद्या अर्जनकलकत्ता विश्वविद्यालयधर्महिन्दू
राजेन्द्र प्रसाद
प्रथम भारत के राष्ट्रपति
कार्यकाल
26 जनवरी 1950 – 14 मई 1962प्रधान मंत्रीपण्डित जवाहर लाल नेहरूउपराष्ट्रपतिसर्वपल्ली राधाकृष्णनपूर्व अधिकारीस्थिति की स्थापना
चक्रवर्ती राजगोपालाचारी भारत के गवर्नर जनरल के रूप मेंउत्तराधिकारीसर्वपल्ली राधाकृष्णनजन्म3 दिसम्बर 1884
जीरादेई, बंगाल प्रेसीडेंसी, ब्रिटिश भारत(अब बिहार में)मृत्यु28 फ़रवरी 1963 (उम्र 78)
पटना, बिहार, भारतराष्ट्रीयताभारतीयराजनैतिक पार्टीभारतीय राष्ट्रीय कांग्रेसजीवन संगीराजवंशी देवी (मृत्यु १९६२)विद्या अर्जनकलकत्ता विश्वविद्यालयधर्महिन्दू
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Dr. Rajendra Prasad was a freedom fighter, social and political activist, teacher, lawyer who served as the first president of independent India and was re-elected for consecutive 2 times tenure. Rajendra Prasad was a very close aide to Gandhiji and he also participated in all the movements which were started by Gandhiji right from Champaran Satyagraha to non-co-operation movement and as well as in quit India movement of 1942.
Rajendra Prasad was a successful teacher as well as a lawyer; he started his career as a professor in Muzaffarpur and then changed to become a lawyer in Calcutta high court.
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