Information about lotus temple in short in Hindi
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कमल मंदिर – Lotus Temple भारत के नयी दिल्ली में है. इसका निर्माणकार्य 1986 में पूरा हुआ था. यह अपने फुल जैसे आकार के लिये प्रसिद्ध है. भारतीय उपमहाद्वीप में इसे मदर टेम्पल भी कहा जाता है और काफी समय में शहर का यह मुख्य आकर्षण का केंद्र भी बना हुआ है. कमल मंदिर Lotus Temple ने बहुत से आर्किटेक्चरल अवार्ड अर्जित किये है.
125 से भी ज्यादा अखबारों में इसे प्रकाशित किया गया है और इस मंदिर पर बहुत सी पत्रिकाओ में लेख भी लिखे गये है. प्रार्थना करने के सभी घरो की तरह कमल मंदिर सभी के लिये खुला है, मतलब किसी भी धर्म का व्यक्ति इस मंदिर में आ सकता है.
लोटस टेंपल या कमल मंदिर, भारत की राजधानी दिल्ली के नेहरू प्लेस के पास स्थित एक बहाई (ईरान एक भिन्न धर्न संस्थापक बहाउल्लाह के अनुयायी) उपासना स्थल है। यह अपने आप में एक अनूठा मंदिर है। यहाँ पर न कोई मूर्ति है और न ही किसी प्रकार का कोई धार्मिक कर्म-कांड किया जाता है, इसके विपरीत यहाँ पर विभिन्न धर्मों से संबंधित विभिन्न पवित्र लेख पढ़े जाते हैं। भारत के लोगों के लिए कमल का फूल पवित्रता तथा शांति का प्रतीक होने के साथ ईश्वर के अवतार का संकेत चिह्न भी है। यह फूल कीचड़ में खिलने के बावजूद पवित्र तथा स्वच्छ रहना सिखाता है, साथ ही यह इस बात का भी द्योतक है कि कैसे धार्मिक प्रतिस्पर्धा तथा भौतिक पूर्वाग्रहों के अंदर रह कर भी, कोई व्यक्ति इन सबसे अनासक्त हो सकता है। कमल मंदिर में प्रतिदिन देश और विदेश के लगभग आठ से दस हजार पर्यटक आते हैं। यहाँ का शांत वातावरण प्रार्थना और ध्यान के लिए सहायक है।