insaniyat ke naate kahani likhiye..
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इसी स्टैण्डर्ड ने ही आज इंसानियत को दिखावे के परदे में इस कदर लपेट दिया है कि इन्सान को इन्सान का दर्द नहीं बल्कि अपना स्टैण्डर्ड दिखाई देता है। उसे अपना अंधेरों में बीता हुआ कल नहीं दिखता बल्कि झूठा चमचमाता हुआ आज दिखाई देता है।” रिया को आज अमित का एक बदला हुआ रूप देखने को मिला। उसने ऐसी उम्मीद न की थी।
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