Hindi, asked by sandhyagupta75308048, 10 months ago

Internet ka jeevan me upyog anuched

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Answered by 173tanveer
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  • जिस देश में पूरब से पश्चिम और उत्तर से दक्षिण तक कभी हिन्दी का ही बोलबाला रहा हो वहां आज इस भाषा को अपने अस्तित्व के लिए जूझना पड़ रहा है। लोग शायद भूल चुके हैं कि ब्रिटिश नौकरशाह मैकाले ने अपनी कूटनीति के तहत ही भारत पर अंग्रेजी थोपी थी और हमारी भाषा संस्कृति पर सुनियोजित ढंग से प्रहार किया। इसका असर यह हुआ कि अंग्रेजी शासक की भाषा बनी और हिन्दी को गुलामी का दर्जा मिला जो आज तक बदस्तूर जारी है।

  • कम्प्यूटर में अब ऐसे भी सॉफ्टवेयर हैं जिसमें अपनी बात अंग्रेजी में लिखो और उसका हिन्दी रूप सामने आ जाता है। इसके अलावा धीरे-धीरे ही सही हिन्दी अपना अस्तित्व बढ़ाती जा रही है। विश्व की विभिन्न भाषाओं में तीसरा स्थान प्राप्त करने वाली इस भाषा को अहिन्दी भाषी राज्यों में पढ़ा और समझा भी जाने लगा है।

  • एक तरफ हिन्दी आगे बढ़ रही है तो दूसरी तरफ हिन्दी की कक्षा में पढ़ने वाला छात्र जब अपने शिक्षक से कक्षा में प्रवेश की अनुमति चाहता है तो कहता है "मे आई कम इन सर"। इसका दुःखद पहलू तो यह भी है कि जो लोग हिन्दी के विकास की बात करते हैं वे स्वयं भी इसका अनादर करने से बाज नहीं आते।

  • आमतौर पर लोग कर्नाटक को कर्नाटका, केरल को केरला कहने में गर्व महसूस करते हैं। उसी प्रकार आम बोल-चाल की भाषा में हिन्दी के साथ अंगरेजी का प्रयोग बढ़ रहा है और लोग दोष एक-दूसरे पर मढ़ रहे हैं लेकिन इसके लिए सार्थक प्रयास कहीं नहीं दिख रहे हैं। शासकीय कामकाज में हिन्दी का प्रयोग बढ़ाने का आदेश तो दिया जाता है लेकिन इसका परिपत्र भी अंग्रेजी में लिखा जाता है।

  • अंग्रेजी भाषा आज इतनी भारी हो गई है कि घर में छोटा बच्चा जब ट्विंकल-ट्विंकल लिटिल स्टार की कविता सुनाता है तो सीना गर्व से फूल जाता है। पहले प्राथमिक कक्षा में हिन्दी की बारहखड़ी सिखाई जाती थी। इससे मात्राओं और शुद्ध उच्चारण का ज्ञान होता था। अब बच्चों में हिन्दी भाषा का ज्ञान औपचारिकता तक सिमट गया है।

  • विशेषतौर पर युवाओं के बीच तो हिन्दी जैसे गुम सी होती जा रही है। आज के युवा मानते हैं कि हिन्दी हमारी मातृभाषा है और हमें इसे बोलना चाहिए, पर अच्छा करियर बनाने के लिए और बेहतर नौकरी के लिए अंग्रेजी का प्रयोग हमारी मजबूरी बन गया
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