Internet or gaon ki kalpana per ek anuched
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भौगोलिक सीमाओं से आबद्ध व्यक्ति सूचना प्रौद्योगिकी और संचार प्रौद्योगिकी के सदुपयोगी संगम से एक सुगम व्यवस्था की ओर अग्रसर हो रहा है । ये व्यवस्था अपने विस्तृत आलिंगन से समूचे बसुधा को समेट रही है ।पारंपरिक संकीर्णता की व्यापकता पर आधारित इन्टरनेट की व्यवस्था क्षीण कर रही है । वैज्ञानिक और प्रौद्योगिकीय विकास के इस परिप्रेक्ष्य में इस पृथ्वी पर प्रत्येक व्यक्ति दूर-दराज के क्षेत्र में स्थित दूसरे व्यक्तियों से बौद्धिक सम्पर्क स्थापित कर रहा है ।स्पष्टत: मानवीय सम्बन्ध एक आशाजनक उज्जवल परिवर्तन की स्थिति से गुजर रहा है । कप्यूटर के माध्यम से सूचना के राजमार्ग इन्टरनेट पर चलकर समस्त मानव-जाति एकीकरण के लिए प्रयत्नशील है । मानव-जीवन की सभी गतिविधियां यथा–राजनीतिक, व्यापारिक, सांस्कृतिक आदि इलैक्ट्रानिक सुविधाओं से लाभान्वित हो रही है ।नेटवर्क के इस विशाल पर्यावास में कोई सीमा नही । कोई सरहद नहीं, कोई बंधन नहीं । विचारकों का उन्मुक्त संचालन-प्रसारण विश्व ग्राम योजना का प्रमुख चरित्र है और इन्टरनेट इसकी सम्पूर्ण व्यवस्था है । इन्टरनेट व्यवस्था के अन्तर्गत लाखों-करोड़ों कम्प्यूटरों का संजाल बनता है, जो सूचनाओं के आवागमन को सुलभ करता है । इसकी संरचना वस्तुत: प्रजातांत्रिक है जो सूचना शक्ति को विकेन्द्रित करती है ।दुनिया के किसी कोने में बैठा कोई व्यक्ति अपने कम्प्यूटर को इन्टरनेट से जोड़कर सूचना सम्राट बन सकता है । इन्टरनेट से जुड़ा कम्प्यूटर होस्ट कहलाता है । इस साम्राज्य में राजा व रंक सभी अपने होस्ट कम्प्यूटर से सूचनाओं का आदान-प्रदान कर सकते हैं ।
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भौगोलिक सीमाओं से आबद्ध व्यक्ति सूचना प्रौद्योगिकी और संचार प्रौद्योगिकी के सदुपयोगी संगम से एक सुगम व्यवस्था की ओर अग्रसर हो रहा है । ये व्यवस्था अपने विस्तृत आलिंगन से समूचे बसुधा को समेट रही है ।पारंपरिक संकीर्णता की व्यापकता पर आधारित इन्टरनेट की व्यवस्था क्षीण कर रही है । वैज्ञानिक और प्रौद्योगिकीय विकास के इस परिप्रेक्ष्य में इस पृथ्वी पर प्रत्येक व्यक्ति दूर-दराज के क्षेत्र में स्थित दूसरे व्यक्तियों से बौद्धिक सम्पर्क स्थापित कर रहा है ।
स्पष्टत: मानवीय सम्बन्ध एक आशाजनक उज्जवल परिवर्तन की स्थिति से गुजर रहा है । कप्यूटर के माध्यम से सूचना के राजमार्ग इन्टरनेट पर चलकर समस्त मानव-जाति एकीकरण के लिए प्रयत्नशील है । मानव-जीवन की सभी गतिविधियां यथा–राजनीतिक, व्यापारिक, सांस्कृतिक आदि इलैक्ट्रानिक सुविधाओं से लाभान्वित हो रही है ।नेटवर्क के इस विशाल पर्यावास में कोई सीमा नही । कोई सरहद नहीं, कोई बंधन नहीं । विचारकों का उन्मुक्त संचालन-प्रसारण विश्व ग्राम योजना का प्रमुख चरित्र है और इन्टरनेट इसकी सम्पूर्ण व्यवस्था है । इन्टरनेट व्यवस्था के अन्तर्गत लाखों-करोड़ों कम्प्यूटरों का संजाल बनता है, जो सूचनाओं के आवागमन को सुलभ करता है । इसकी संरचना वस्तुत: प्रजातांत्रिक है जो सूचना शक्ति को विकेन्द्रित करती है ।दुनिया के किसी कोने में बैठा कोई व्यक्ति अपने कम्प्यूटर को इन्टरनेट से जोड़कर सूचना सम्राट बन सकता है । इन्टरनेट से जुड़ा कम्प्यूटर होस्ट कहलाता है । इस साम्राज्य में राजा व रंक सभी अपने होस्ट कम्प्यूटर से सूचनाओं का आदान-प्रदान कर सकते हैं ।इन्टरनेट का जन्म शीत-युद्ध के गर्भ से अमेरिका में हुआ । 1960 के दशक में सोवियत संघ के परमाणु आक्रमण से चिंतित अमेरिकी सरकार ने एक ऐसी व्यवस्था की संरचना चाही जिसमें अमेरिकी शक्ति किसी एक जगह पर केन्द्रित न रहे । विकेन्द्रित सत्ता वाले नेटवर्क से ये आशा थी कि शक्ति के बिखरे स्वरूप से उसे आक्रमण का शिकार होने से बचाया जा सकेगा ।इस नेटवर्क में सभी कम्प्यूटर शक्ति से सम्बन्धित सूचना को संग्रहित रखेगा । इस प्रकार कुछ कम्प्यूटरों के नष्ट हो जाने के बावजूद, कुछ कम्प्यूटर शेष कम्प्यूटर रक्षात्मक कदमों के लिए संग्रहित सूचनाओं के साथ मार्गदर्शन करेंगे ।सत्तर के दशक में अमेरिका की रक्षा उन्नत अनुसंधान परियोजना एजेंसी ने अपने प्रयत्न में सफलता प्राप्त की और इस नेटवर्क का उदय हुआ जो कम्प्यूटरों के बीच बहु संयोजित पैकेट संजालों में सूचनाओं का आदान प्रदान कराने ।ये अंतर-नैटिंग परियोजना परिष्कृत होकर इन्टरनेट के नाम से विख्यात हुयी । अनुसंधान से विकसित प्रोटोकोल को नियंत्रण प्रोटोकोल (टी.सी.पी.) और इन्टरनेट प्रोटोकोल (आई.पी.) कहा गया । इन्टरनेट से सम्बन्धित दस्तावेजों के प्रकाशन और प्रोटोकोल संचालन के लिए इन्टरनेट कारवाई बोर्ड होता है जो प्रयोक्ताओं को इंटरनेट रजिस्ट्री, डोमेन नेम और उसके द्वारा डाटाबेस का आबंटन और वितरण करता है ।इंटरनेट की लोकप्रियता के पीछे इसकी विविध प्रणालियां, सेवाएँ प्रमुख हैं । विश्वव्यापी वैब जहां प्रयोक्ता को सरलता से एक पेज से दूसरे पेज पर जाने में मदद करता है और सम्पर्क को व्यापक बनाता है वहीं मोसेक नामक लेखचित्रीय वैब-ब्राउसर इसे आम लोगों के लिए सुगम बनाता है । नेटस्केप नैवीगेटर और इन्टरनेट एक्सप्लोरर जैसे बैबब्राउसर इंटरनेट एक्सेस को रोचकता पूर्वक सरल करते हैं ।इंटरनेट में प्रयुक्त उपकरण भी उल्लेखनीय हैं जो प्रयोक्ताओं को बहुरंगी सेवाओं का उपभोग करने का अवसर देते हैं । इलेक्ट्रानिक डाक सर्वाधिक प्रचलित उपकरण है जो लोगों की टेलीफोन निर्भरता को कम करता है एवं संवादों का आदान-प्रदान आसान करता है । ई-डाक दो तरह के हो सकते हैं-इंटरनेट ई-डाक व गैर इंटरनेट डाक । इनके संवहन के लिए डाक कार्यक्रम का उपयोग किया जाता है । तेजी से और कम खर्च में डाक भेजने का साधन है-वर्तमान ई-डाक प्रणाली ।
इसके बाद महत्वपूर्ण हैं डाक सूचियां, सूची सेवाएं और बुलेटिन बिलबोर्ड । डाक सूचियां । एक ही स्रोत वाली सूचनाएँ आसानी से कम खर्च में सुलभ कराती है । सूची सेवाएँ एक स्वचालित सर्वर कार्यक्रम से संचालित होती हैं और विशेष रुचि वाली सुविधा होती है । बुलेटिन बोर्ड के द्वारा कोई प्रयोक्ता होस्ट कम्प्यूटर से जुड़ता है । वेब के प्रचलित होने के कारण मोफर आँकड़ी को व्यवस्थित कर वैब स्थलों में बदला जा रहा है । इंटरनेट से जुड़कर प्रयोक्ता व्यवसायिकता के तीनों पहलुओं का आंकिक सम्पर्क प्राप्त करता है । इंटरनेट की व्यापकता के कारण इलॉक्ट्रानिक वाणिज्य का बाजार किसी भी भौगोलिक सीमा से मुक्त होकर परिवद्धित होता है ।इलेक्ट्रानिक वाणिज्य मुख्यतया चार प्रकार के होते हैं । बी.टू.बी., सी.टू.सी व सी.टू.बी. । इनके अन्तर्गत व्यवसायिक व उपभोक्ता बाजार से सम्बन्धित सारी प्रक्रियाएं कम्प्यूटर पर पूरी करते हैं । उपभोक्ता व व्यवसायी बिना शारीरिक परिश्रम के अल्पतम समय में व्यापारिक मामले तय कर सकते हैं । ज्ञात है कि इलेक्ट्रानिक गवर्नेस की भी व्यवस्था प्रचलित हो रही है ।
सभी प्रशासनिक फैसले अब इंटरनेट से जुड़े कम्प्यूटरों पर होंगे और योजनाओं के क्रियान्वयन के लिए समुचित उपाय की भी जानकारी प्राप्त होगी । ग्राम पंचायतों को भी इंटरनेट से जोड़ने का विचार है, जिससे ग्रामीण लोगों को सूचनाओं की सरल प्राप्ति हो सके । इस प्रकार इंटरनेट व्यवस्था की तीव्र ग्राह्ययता स्पष्ट हो रही है ।विश्व समाज प्रौद्योगिकीय सुविधाओं का सदुपयोग सभी पारंपरिक दूरियों को खत्म करने के लिए कर रही है । you can understand