Intne uche utho poem mein kavi intne uche uthne ki baat kyu kr raha hai??
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कवि द्वारका प्रसाद जी ने अपने जीवन के अभिव्यक्तियों से जो समझा है । उसके आधार पर ही वह युवा पीढ़ी को संदेश देते हैं कि तुम जाति-धर्म, अमीर-गरीब के भेदभाव से बाहर निकल कर एक ऐसे समाज का गठन करो जिसमें सभी समान भाव से रहे।
जिस प्रकार प्रकृति सभी के लिए समान होती है वैसे ही हमें भी समानता का बीच बोना है।आज समाज में चारों ओर नफरत की बीच है उस आग को ठंडा कर हमें मलय पर्वत के समान ठंडा ,शीतल हवा लाना है।
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#itzcu
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इतने ऊँचे उठो कि जितना उठा गगन है।
देखो इस सारी दुनिया को एक दृष्टि से
सिंचित करो धरा, समता की भाव वृष्टि से
जाति भेद की, धर्म-वेश की
काले गोरे रंग-द्वेष की
ज्वालाओं से जलते जग में
इतने शीतल बहो कि जितना मलय पवन है॥
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