introduction to the story teller of baat athini ki
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सुदर्शन (1895-1967) प्रेमचन्द परम्परा के कहानीकार हैं। इनका दृष्टिकोण सुधारवादी है। ये आदर्शोन्मुख यथार्थवादी हैं। मुंशी प्रेमचंद और उपेन्द्रनाथ अश्क की तरह सुदर्शन हिन्दी और उर्दू में लिखते रहे हैं। अपनी प्रायः सभी प्रसिदध कहानियों में इन्होंने समस्यायों का आदशर्वादी समाधान प्रस्तुत किया है।
सुदर्शन की भाषा सरल, स्वाभाविक, प्रभावोत्पादक और मुहावरेदार है। इनका असली नाम बदरीनाथ है।
लाहौर की उर्दू पत्रिका हज़ार दास्ताँ में उनकी अनेक कहानियाँ छपीं। उन्हें गद्य और पद्य दोनों ही में महारत थी। "हार की जीत" पंडित जी की पहली कहानी है और 1920 में सरस्वती में प्रकाशित हुई थी।
इन्होंने अनेकों फिल्मों की पटकथा और गीत भी लिखे हैं। फिल्म धूप-छाँव (१९३५) के प्रसिदध गीत तेरी गठरी में लागा चोर, उन्ही के लिखे हुए हैं।
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